तब तक दीवाली बाकी है ।
तब तक दीवाली बाकी है ।
जब राम राज्य कल्पना मात्र
चहुँ ओर दिखें त्रैताप व्याप्त
गृह लक्ष्मी जब है व्यथित क्लान्त
है बहुत दूर सुख और शांति
जीवन बस आपाधापी है
तब तक दीवाली बाकी है ।
ढाबे का छोटू उदास है
घर का न कोई भी पास है
फुलवा ने बेंचे दिये रुई
जुगनू की बिक्री हुई नहीं
जब तक कुछ ऐसी झांकी है
तब तक दीवाली बाकी है ।
वो अवध जहाँ अवधेश हुए
उनको भी कितने क्लेश हुए
सौगन्ध रोज झूठी खा लो
मर्यादा पुरुषोत्तम को भी
मर्याद न्याय की दिखवा लो
जब तक मंदिर निर्माण नहीं चेहरे हैं मलिन उदासी है
तब तक दीवाली बाकी है ।
अनुराग दीक्षित