तबियत का हाल छंदों का व्याकरण
गुरु कुल में
(खैर खबर संवाद )
छंद श्रृंगार 16
××××××××÷×××××
अरुण तुम तबियत पर दो ध्यान।
गुरू की बात अभी से मान ।
बराबर लिखो लगन से छंद।
सभी को आ जाए आनंद।।
पद्धरि छंद 16
डरना मत मित्र जुखाम देख।
दो दिन उसका परिणाम देख।
तत्काल दवा कफ जाय सूख ।
हो कठिन सांस मर जाय भूख।
पदपादाकुलक16
अपने में सबको ढाल चलो ।
फुरसत का वक्त निकाल चलो।
गुरुकुल के गौरव गान बनो।
निज जाति वंश की शान बनो।
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पुनीत 15
अंत में तगण 221
खाँसी चले करे लाचार।
तन है शिथिल पड़े बीमार।
है तंदूरी तन का ताप ।
कैसे सहें बाप रे बाप।
गोपी छंद 15
आदि में त्रिकल अंत गुरू
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कही जो बात उसे मानो ।
शीत को सरल नहीं जानो।
बैठने को हो जाय गला ।
खाँसना तो नभ हंस चला।
जयकरी/ चौपई
15 गुरू लघु
बंद पडे सारे संवाद ।
करें गुरू जी कब तक याद ।
भूल गए कोरोना काल ।।
अभी कहाँ हैं वैसे हाल।।
श्रृंगार छंद 16
हमारे रक्षक है हनुमान।
कष्ट के भक्षक हैं हनुमान।
उन्हीं का लिये सहारा चलें ।
मूंग दुष्टों के दल पर दलें ।।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
19/10/22