तप
धूप में तपता रह न वृक्ष की छांव ले,
भूत को भूल भविष्य की राह ले,
स्नेह लेप त्याग कर परिश्रम की घाव ले।
बढ़ा दे कदम फिर लक्ष्य की ओर तू,
हार हार कर बाजीगर तूं और दांव लें,
धूप में तपता रह …..।
चेहरे हैं मुखौटे हैं एक नहीं दो नहीं,
दो चार कदमों पर कष्ट है एक नहीं दो नहीं,
कष्ट को उबार कर मुखौटे को उघाड़ कर,
हार हार कर बाजीगर तूं और दांव लें।
धूप में तपता रह ……।
मीठी-मीठी बोलियां धोखेबाजों की टोलियां,
इससे खुद को बचाता चल ओ मेरे
लक्ष्यवीर
पतवार लगा कर बहता चल मत ठहर,
हार हार कर बाजीगर तूं और दांव लें।
धूप में तपता रह …..।
अंधकार द्वंद को चीर कर प्रकाश कर,
राह की रूकावटें पार कर विकास कर,
चला चल लक्ष्य ओर दृद निश्चय ठानकर,
जीत का सेहरा सजा आत्मबल पहचान कर,
हार हार कर बाजीगर तूं और दांव लें।
धूप में तपता रह …..।
–© अमन कुमार होली