तन-मन कंचन कैसे होगा?
तन-मन कंचन कैसे होगा?
छाई निर्मल तन घटा,
घटा न हृदय अहंकार।
जीना -जीना क्या हुआ,
न पाए उच्च संस्कार।
नाम तज उस ईश्वर का,
भोग विलास अपनाया।
निज देह अभिमान किया,
तव शीश गर्व समाया।
कंचन तन माटी मिला,
जब कंचन भोग- भोगा।
कनक देह, कनक खाए,
मन कंचन नहीं होगा।
विषय वस्तु के भोग से,
जगत बौराता जाए।
निज स्वार्थ व्यापार से,
आचरण लुटता जाए।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश