*तन तो बूढ़ा हो गया, जिह्वा अभी जवान (आठ दोहे)*
तन तो बूढ़ा हो गया, जिह्वा अभी जवान (आठ दोहे)
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1
तन तो बूढ़ा हो गया, जिह्वा अभी जवान
रचा न जाने किस तरह, ईश्वर ने इंसान
2
आत्मा का किसको पता, देखा कब भगवान
तन के भीतर झॉंकते, कैसे सब अनजान
3
जन्म-मरण का चल रहा, जाने कब से चक्र
सीधी अब तक कब हुई, दृष्टि ईश की वक्र
4
वृद्धावस्था अंत है, बचपन है शुरुआत
यौवन में है नौकरी, शुभ विवाह की बात
5
जो चाहा वह कब मिला, सबको रहा मलाल
एक अधूरापन रहा, दिखे भले खुशहाल
6
निश्छलता जिसको मिली, उसे मिली सौगात
बिना यत्न ही मिल गए, ईश्वर भी साक्षात
7
आत्मदीप जो बन गया, देखा अंदर झॉंक
उसकी कीमत यह जगत्, पाया कब है ऑंक
8
धन से कब मिलते भला, निराकार भगवान
हृदय कमल में ढूॅंढना, निर्धन को आसान
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451