तन अर्पण मन अर्पण
तन अर्पण मन अर्पण
जीवन का हर पल अर्पण
आप ही दुनिया आप ही दर्पण
बिन आपके जीवन समर्पण
इधर उधर किया विचरण
फिर पड़े गृह में आपके चरण
आप का कर्षण करे हृदय में घर्षण
तब भीतर हो भयंकर वर्षण।
तन अर्पण मन अर्पण
जीवन का हर पल अर्पण
हर पल आप रहे स्मरण
कैसे करूं आपका चरित्र चित्रण
आपके कारण हुआ मैं तरण
आपकी प्रवृति है प्रवण
ऐसे न करें मन का हरण
की विस्मृत हो जाऊ इसके कारण।
तीज पर पत्नी को समर्पित विशेष
कर्षन का अर्थ आकर्षण,
वर्षण का अर्थ वर्षा
तरण का अर्थ पार होना
प्रवण का अर्थ नम्र