तन्हा
गुमनाम जिंदगी जीता हूँ,
दिल में दर्द है,
फिर भी होठों पर मुस्कराहट लिए फिरता हूँ,
तन्हा ही जीवन का सार है,
यह बात क्यों मैं बार-बार जीवन से ही पूछ बैठता हूँ |
जीवन, है तन्हा से भरा पड़ा,
जो कहता हर बार, तू मान हार
पर मैं कहता बार-बार, कमबख्त!
मैं यूँ ना हार मानूँगा,
मैं तेरे हर वार का जवाब दूगाँ |
हर क्षण, हर पल
मैं करता सचेत अपने अंतर्मन को,
कहता, ऐ सुन मेरे अजीज दिल
तू रख हौसला,
यह लम्हा भी बीतेगा,
और इसी लम्हा के साथ यह तन्हा भी जाएगा |