तन्हा हूं,मुझे तन्हा रहने दो
तन्हा हूं,मुझे तन्हा रहने दो,
गम में हूं, गमजदा रहने दो।
मत छीनो मेरी तुम तन्हाइयां,
इसमें ही मुझे तुम रहने दो।
इससे मुझे शकुन मिलता है,
तन्हा रहकर जनून मिलता है।
मुझे बस कुछ तो लिखने दो,
तन्हा हूं,मुझे तन्हा रहने दो।
गम में हूं, गमजदा रहने दो।।
तन्हाई मेरी पक्की सहेली है,
मेरे लिए ये तो नव नवेली है।
इसको कही मत जाने दो,
इसको मेरे पास रहने दो।
बस मुझे तन्हा ही रहने दो,
गम में हूं गमजदा रहने दो।।
तन्हाई सबको नसीब नही होती,
यह सबके करीब नही होती।
मिलती है ये बड़ी मुश्किल से,
सबके नसीब मे ये नही होती,
तन्हाई को नसीब में रहने दो,
तन्हा हूं मुझे तन्हा रहने दो।
गम में हूं,गमजदा रहने दो।।
तन्हाई अब कहां मिलती है,
जिंदगी शोरगुल में गुजरती है।
कैसे पाए इस तन्हाई को हम,
इसके लिए जिंदगी मचलती है।
जिंदगी को तन्हा रहने दो।
तन्हा हूं मुझे तन्हा रहने दो,
गम में हूं गमजादा रहने दो।।
तन्हाई के लिए कुछ न चाहिए,
बस दो गज जमीन तो चाहिए।
सो जाता हूं आखरी सांस लेकर,
सो जाता हूं तन्हाई को संग लेकर,
अब तुम मुझे उम्र भर सोने दो।
तन्हा हूं मैं,मुझे तन्हा रहने दो।
गम में हूं, गमजदा ही रहने दो।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम