तन्हा ही खूबसूरत हूं मैं।
तन्हा ही खूबसूरत हूं मैं।
अपनी सिमटती जान का
गुलशन ए मोहब्बत हूं मैं
क्या कोई सहारे की चाह रखूं
आसमां भी नहीं, खुद का छत हूं मैं
जमाना जिसका ना तो मैं नजरिया
न ही इस जमाने की आदत हूं मैं
भीड़ भीड़ गैरों में कुछ नहीं
पर तन्हा खूबसूरत हूं मैं।