तन्हा रात..
तन्हा रात आधी रह गई,
चाँदनी भी आँखों से छुप गई।
जब साथ थे तो रंगीं थी जिंदगी,
अब अकेलापन ने रुला दिया है।
चुपचाप बैठे हैं खिड़की के पास,
सितारों को देखते हैं ऊँचा आसमान।
दिल में छुपी है बहुत सी यादें,
किसी से कहने को है कहानी बहुत।
कहानी जो हमारी थी इक साथी की,
वो दूर हो गया इक रात की।
प्यार की मिठास अब कहाँ रह गई,
तन्हाई का दरिया अब बह गया है।
आँखों में आंसू, दिल में उम्मीदें,
रात भर बिताते हैं अब नींदें।
क्या था वो सबकुछ जो चला गया,
तन्हाई की माला अब गला गया है।
पर फिर भी जिन्दगी नहीं ठहरी,
नई सवेरा नया सवेरा चमक रही।
तन्हाई भी दोस्त बन गई है मेरी,
रात की अँधेरी अब उजाली हो गई।