तन्हा मन
………..तन्हा मन……..
….क्या तुम लौट आओगे ….
जब कभी सफर पर जाना हो ।
या कभी स्याह रात में डर से हाथ थामना हो ।
क्या तुम लौट आओंगे ….।।
पहली बारिश में प्यार का इजहार करना हो ।
बालकनी में खड़े होकर साथ में अगर कॉफ़ी पीना हो । कांधे पर सर रखकर तकलीफ को कम करना हो ।
क्या तुम लौट अाओंगे ……।।
बादलों की गड़गड़ाहट की तेज आवाज से डरकर
तुम्हरे गले लगाना हो ।
पहाड़ियों की उचाई को तुम्हारा हाथ पकड़कर चड़ना हो ।
और देर शाम तक सूर्य अस्त देखना हो ।
तो क्या तुम लौट आओंज….. ।।
मेरा मन तुमसे लगता था अब तुम है नहीं तो इस मन को केसे समझाऊं ।
तुम्हरे चले जाने के बाद सब कुछ अधूरा रह गया,
तुमको गए आज पूरे 2 साल 7 महीने और हो गए,
अब अब तो ये बारिश भी जेसे काटने लगती है ।नफरत सी हो गई है मुझे खुद से और तुम्हरे चले जाने के बाद इस ज़िन्दगी से ।
तुम्हरे इस कदर छोड़ कर चले जाना, मानो किसी ने दीपक से सुकी बाती चुरा ली हो,
कहने को बहुत सी बाते है ,पर अब मुझसे कहीं नहीं जाती ।
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