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20 Jan 2022 · 1 min read

तन्हा था मैें

तन्हा था मैं
अकेला था मैं
फिर मैं क्यो दूसरो को
अपना मानता रहा
पागल था मैं
जो बेवजहा दूसरो को
खुदा मानता रहा
खुदा वो मुझमे भी था
फिर भी मैं
दूसरो मे ही झाकता रहा
जैसे आईना रखके सामने
मैं खुद को ताकता रहा
जब पता चला
के वो वहम था मेरा
मैं बेवजहा ही
कही ओर झाकता रहा
खुदा कैसे मिलता जब मैं
गलत जगह ही ताकता रहा
“”””**””””**””””**””””**”””

Language: Hindi
1 Like · 224 Views
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