तन्हाई
किसका रस्ता देख रहे हो
यादों की परछाई में
कौन आएगा शमा जलाने
रात की इस तन्हाई में
इंतज़ार क्यों करते हो तुम
सुबह की आँखें खुलने का
मौसम पर कलियों का जादू
एक बार फिर चलने का
कैसा मरहम चाह रहे हो
ज़ख्मों की गहराई में
कौन आएगा शमा जलाने
रात की इस तन्हाई में
सुर्ख लवों पे यूँ ही आके
ठहरा सा है राज कोई
ख़्वाबों की महफ़िल से उठी
अश्क़ों की बारात कोई
गिरह खुल रही ख़ामोशी की
गूंज उठी शहनाई में
कौन आएगा शमा जलाने
रात की इस तन्हाई में