तन्हाई में जीते हैं….!
कितने तन्हा हो गए ,
किनके वो दीवाने थे,
आंँखों में जिनके डूबे थे ,
अब आंँख किसी से लड़ा बैठे,
तन्हाई में जीते हैं,
खुद से दिल लगा बैठे…।।१।
हुस्न का रंग अब फीका पड़ गया,
नए हुनर से रिश्ता बना बैठे,
आंँखों में ऐसी क्या बात हुई,
मोहब्बत का घर वो सजा बैठे,
तन्हाई में जीते हैं,
खुद से दिल लगा बैठे…।।2।
बेचैन हुए थे न अब तक,
तन्हाइयों में जिए थे न तब तक,
अब तन्हा तन्हा बैठे हैं,
जैसे राह को तका बैठे,
तन्हाई में जीते हैं,
खुद से दिल लगा बैठे…।।3।
आए न अब तक तन्हाइयों में,
सपनों में मिलने आ बैठे,
इंतजार की घड़ियांँ गिनते रह गए,
तन्हाइयों से मन लगा बैठे,
तन्हाई में जीते हैं,
खुद से दिल लगा बैठे…।।4।
अब तन्हा तन्हा जीते हैं,
मिलने का एहसास छुपा बैठे,
कभी तन्हा हम यहांँ बैठे,
तन्हाइयों में तुम वहांँ बैठे,
तन्हाई में जीते हैं,
खुद से दिल लगा बैठे…।।5।
##बुद्ध् प्रकाश,
##मौदहा हमीरपुर ।