तन्हाई को जश्न दे चुका,
तन्हाई को जश्न दे चुका,
मन का संगीत लग चुका,
रंगीन शाम की सजी है महफिल,
जहाँ न कोई कमी, पर
नि: शब्द का रूह ज्वार भाटा,
आवाज कौन दे ?
गौतम साव
तन्हाई को जश्न दे चुका,
मन का संगीत लग चुका,
रंगीन शाम की सजी है महफिल,
जहाँ न कोई कमी, पर
नि: शब्द का रूह ज्वार भाटा,
आवाज कौन दे ?
गौतम साव