तनाव नहीं, रिलेक्स देती हैं किताबें
आज एक बंदे को मैंने किताब पढ़ने की सलाह क्या दी, वो तो भड़क ही गया मुझ पर और मुझे रहा सुनाने और यहां तक कि उसने मुझे अपनी औकात भी बता दी. मेरी औकात बताने के साथ उसने मुझे किताब पढ़ने के खिलाफ कुछ तर्क भी दिए. हालांकि जो तर्क उन्होंने मुझे दिए, वे सिर्फ उसके लिए तर्क हो सकते हैं, मेरे लिए तो नितांत कुतर्क ही थे. जैसे कभी मजाक में हमारे ढकरिया सर कहा करते थे-पढतव्यं तो मरतव्यं, न पढतव्यं तो मर्तव्ययं , तो कहे दांत कटाकट करतव्यं…?? उस बंदे की बात से ही उद्वेलित होकर मैं यह पोस्ट लिख रहा हूं.
सच भाई, जब भी मैं किसी को किताबें पढ़ने के लिए सजेस्ट करता हूं अमूमन तौर पर सभी लोग उस भाई की तरह ही तर्क रखते हैं, भले ही वे रेस नहीं होते, झल्लाते नहीं लेकिन बड़ी ही चतुराई से कोई समय की कमी बता देगा, कोई अपने चश्मों के नंबर बढ़ जाने की समस्या बता देगा, कई-कई तो ऐसे भी हैं जो किताब पढ़ने से दिमाग में तनाव होने की बात भी रख देंगे. लेकिन ये तीनों ही बातें अवैज्ञानिक और बकवास हैं. इन सबके विपरीत सच्चई तो यह है कि पढ़ने से आंखें शार्प होती हैं और दिमाग को रिलैक्स मिलता है. हां, यह अलग बात है कि शुरुआती दौर में जरूर हम मानसिक तनाव महसूस कर सकते हैं. जैसे अगर आपकी कपड़े धोने की प्रैक्टिस नहीं है तो आपको केवल टॉबल और रूमाल धुलना भी कष्टकर और थका देने वाला साबित होगा. कुछ सप्ताह अगर आप यह कार्य निरंतर करें तो आप ट्यूनिंगफुल होकर इतने कपड़े धुल लेंगे कि आप स्वयं ही अपने पर आश्चर्य करने लगेंगे. सच्चई तो यह है कि किताबें पढ़ने से हमारे ज्ञान, लेखन, तर्कक्षमता और शब्दावली में तो इजाफा होता ही है बल्कि इसके साथ दिमाग को शांति भी मिलती है. जीवन में चल रही कई समस्याओं का समाधान भी मिलता है. किताबें पढ़ना एक दिमागी एक्सरसाइज है, जो आपकी दिमागी क्षमता का विकास करके आपको सामाजिक स्तर पर मान-सम्मान भी दिलाता है. आप साधारण से एक असाधारण व्यक्तित्व के धनी हो जाते हैं. किताब पढ़ने से आपका दिमाग मजबूत होता है. जिस तरह शरीर को मजबूत रखने के लिए एक्सरसाइज की जरूरत होती है, ठीक उसी तरह किताबें पढ़ना एक बेहतरीन दिमागी एक्सरसाइज है. किताबें हमें किसी तथ्य व बात को याद करने, जानकारी संग्रहित करने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है. शोध बताते हैं कि किताब पढ़ने वाले लोगों का दिमाग ऐसा न करने वाले लोगों के मुकाबले 38 प्रतिशत तेज काम करता है.
इंसान के जीवन में कई ऐसी दिक्कतें होती हैं, जिनका समाधान निकालना उसकी क्षमता से बाहर होता है. इन समस्याओं के कारण वह परेशान रहने लगता है और दूसरी चीजों पर ध्यान नहीं दे पाता. लेकिन किताबें पढ़ने से आप दूसरों के दृष्टिकोण, उनके अनुभवों को जान पाते हैं, जो कि आपकी समस्या का समाधान ढूंढने में भी मदद कर सकते हैं. इसी तरह आपके अंदर सकारात्मकता का संचार होता है. किताबें पढ़ना एक तरह से मेंटल थेरेपी है.
जीवन में हर किसी को किसी न किसी बात का तनाव है. तनाव में इंसान के दिमाग में सिर्फ वही परेशानी चलती रहती है और वह परेशान होता रहता है. लेकिन किताबें पढ़ना आपके तनाव को कम कर सकता है. इसका पहला कारण यह है कि किताबें पढ़ने से आपका दिमाग तनाव पैदा करने वाले विचार से भटक जाता है और आप राहत महसूस करते हैं. दूसरा कारण यह है कि किताबें पढ़ने से आप दिमाग को रिलैक्स करने में मददगार रास्ते या विचार भी सीख सकते हैं. तो मित्रों, अब आप मानेंगे न कि किताबें तनाव नहीं, हमें रिलेक्स देती हैं. उम्मीद है, आप भी अपने घर में पूजाघर के साथ-साथ या उसके बजाय किताब घर की स्थापना को अधिक वरीयता देंगे!!
-11 जून 2021, शनिवार