#तनबगिया की सांझ
✍
★ #तनबगिया की सांझ ★
प्रेमसदन में प्राणपण धर दिया मैंने
तुम्हारे नाम से पहले आचमन किया मैंने
तुम्हारे नाम से पहले . . . . .
आन छुपा चोर एक हृदय की अटारी में
फिर से सात जन्मों का वचन किया मैंने
तुम्हारे नाम से पहले . . . . .
दिनरैन नखशिख भीजते नेहा की फुहारों में
सौ-सौ जन्मों को इसी जनम जिया मैंने
तुम्हारे नाम से पहले . . . . .
माथे सजे है कुमकुम पांवों में महावर
मनमयूर मीत तेरे रंग रंग दिया मैंने
तुम्हारे नाम से पहले . . . . .
मन हुआ पटबीजना तनबगिया की सांझ में
तुमने कहा रजनीगंधा पिया पिया मैंने
तुम्हारे नाम से पहले . . . . .
भय का लब्ध प्रीत नहीं प्रेमबीज राम
सियाराम मंत्रओढन रामसिया मैंने
तुम्हारे नाम से पहले . . . . .
सूरज खिले मांग तेरी रुक्मण पटरानी
पथकंटकों के हाथ में डर दिया मैंने
तुम्हारे नाम से पहले . . . . .
हे चक्रपाणि लाज मेरी तेरे हाथ है
पद्मपुष्प संग वीतराग वर लिया मैंने
तुम्हारे नाम से पहले . . . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२