तथागत प्रीत तुम्हारी है
तथागत अब तो आ जाओ,
जग में प्रीत तुम्हारी है।
दे जाओ ज्ञान हमें अब तुम,
सरण में तेरे आ गये है तथागत।
अमर रहे सदा नाम तुम्हारा,
अमर दीप जले घर-घर सारा।।
तथागत अब तो आ जाओ,
जग में प्रीत तुम्हारी है।….(1)
अशांति अहिंसा फैला जग में,
इसको तुम ही मिटा देना ।
जन-जन के तुम कष्ट को हरना,
प्रेम करुणा तुम अपनी करना।।
तथागत अब तो आ जाओ,
जग में प्रीत तुम्हारी है।……..(2)
मध्यम मार्ग हमें दिखला कर,
बुद्ध तथागत ह्रदय में आकर।
मानव को दिखाया दुःख सागर,
निर्वाण का है मार्ग पावन।।
तथागत अब तो आ जाओ,
जग में प्रीत तुम्हारी है ।………(३)
रचनाकार –
✍🏼 बुद्ध प्रकाश,
मौदहा,हमीरपुर।