तड़प
हुडा सीटी सेंटर के ट्रैफ़िक सिग्नल पर, बहुत देर से रुके ट्राफ़िक से खीज, जमी भीड़ का कारण जानने, शैलजा कार से उतर, भीड़ की ओर बढ़ी। दो पुलिस कॉन्स्टेबल ज़बरदस्ती एक औरत ..न ..न ध्यान से देखने पर किन्नर को घसीट पुलिस वैन में बिठाने की पुरज़ोर कोशिश कर रहे थे …और वो अपना सारा ज़ोर लगा रही थी, कस कर अपनी बेटी को भींचे, वैन में न चढ़ने की..!
किन्नर ज़ोर- ज़ोर से रोते हुए विनती कर रही थी …
” साहेब मैंने कुछ नहीं किया ..साहेब सुनो ना, मैं तो बस इस सिगनल पर सुबह अख़बार और बाक़ी दिन को खिलौने बेचती हूँ, मैंने कोई चोरी नहीं की…साहेब ..साहेब ..कल से मेरी बेटी की १० वी की परीक्षा है। मेरा रहना बहुत ज़रूरी है, साहेब ओ साहेब …”
उनमें से एक कॉन्स्टेबल मज़ाक़ उड़ाते हुए बोला, ” बेटी और तुझ किन्नर की?? कहाँ से चुराया ?? हैं ??”
तभी किन्नर की बेटी भी रोते बिलखते बोल पड़ी …
“न सर चुराया नहीं ये मेरी ही माँ है..असली माँ- बाप ने तो, पैदा होते ही कूड़ा समझ, कूड़ेदान में फेंक दिया था।
इन्होंने ही पाला है, सगी माँ से भी बढ़कर!
माँ ने कुछ नहीं किया, छोड़ दो न सर “!
हाथ जोड़ते हुए, उस लगभग चौदह पंद्रह साल की बच्ची को देख, शैलजा को बिलकुल अच्छा नहीं लगा। उसने कॉन्स्टेबल से माजरा पूछा ..
“वो देखते ही बोला आप तो……”
शैलजा बोल पड़ी “हाँ! मैं टी़ वी क्राइम रिपोर्टर शैलजा त्रिपाठी ही हूँ.. हुआ क्या है ??
कॉन्स्टेबल ने बताया कि कंप्लेन्ट आई है कि इस सिग्नल पर कल एक कार से लैपटॉप चोरी हुआ है और आए दिन यहाँ चोरियाँ होती रहती हैं, सो राऊडऑफ में सब भिखारियों, फेरीवाले और किन्नरों को पकड़ लाने का आदेश है।”
शैलजा ने एक नज़र रोते किन्नर पर डाली और फिर रोती उसकी बेटी पर, जो लगभग उसी की बेटी की उम्र की थी …उतनी ही प्यारी और मासूम …उसका दिल गवाही दे रहा था, ये किन्नर नेक और बेक़सूर है और उसने कॉन्स्टेबल को उन्हें छोड़ने के लिए आख़िर मना ही लिया!
किन्नर ने शैलजा के पाँव पकड़ लिए..
” अरे रे ..ये क्या कर रहीं हैं आप …आप तो बड़ी हैं मुझसे ..”
कहते हुए शैलजा ने काँधे से पकड़ उन्हें उठाया और पूछा
“क्या नाम है आपका ?”
किन्नर आँसु पोंछ, मुस्कुराते हुए बोली चंदा और ये मेरी बेटी रोशनी है मैडम!
पढ़ने में बहुत तेज है!
आप न होतीं तो कल ये परीक्षा कैसे देती ? आपका ये एहसान मैं कभी नहीं भूलूँगी।”
शैलजा बोल पड़ी..
“मैं खुद माँ हूँ, समझ सकती हूँ आपकी भावनाओं को …और बेटी के साथ रहने की अहमियत भी खूब समझती हूँ! लकी हैं आप , आपकी बेटी आपको बहुत प्यार करती है” ..!
मुस्कुराते हुए शैलजा ने रोशनी के सिर पर हाथ फेरते हुए प्यार से एक नज़र भर कर देखा उसे …
तभी ललित, शैलजा के पति ने गंभीर स्वर में खीजते हुए, शैलजा को पीछे से टोका…
“शैल चलें?? देर हो रही है ..वहाँ लेट नहीं पहुँच सकते पता है न” ??
चंदा ने मन से आशीर्वाद दिया ..
“आप दोनों की जोड़ी सलामत रहे ..भरा पूरा संसार हो आपका मैडम! खूब जियो आप! दिल से दुआ है…हम किन्नरों की दुआ हमेशा लगती है मैडम, आप देखना”!
शैलजा हल्के से मुस्कुराई, बाय करते हुए चंदा और रोशनी को, कार की तरफ़ बढ़ गई ।
कुछ दिनों बाद अख़बार बेचने के लिए जब चंदा ने भोर में बंडल उठाया, तो उसमें शैलजा की फ़ोटो उपर पहले पन्ने पर देख, तुरंत स्ट्रीट लैंप के नीचे पढ़ती रोशनी के पास जाकर बोली ” अरी रोशु! देख न, ये उस दिन पुलिस से बचाने वाली मैडम ही है न ?? कितनी प्यारी लग रही है न!! ..ज़रा पढ़कर बता तो क्या लिखा है ?”
रोशनी ने हेडलाइन पढ़ना शुरू किया..
” प्रसिद्ध क्राईम जर्नलिस्ट शैलजा त्रिपाठी ने डिवोर्स के साथ, बेटी की कस्टडी खोने के बाद, कल देर शाम अपने फ्लैट में ख़ुदकुशी की!”
स्तब्ध चंदा की आँखों से आँसू बह निकले।
मन में कई बातें उफनने लगीं…
“मैंने तो दिल से दुआ दी थी कि मैडम और साहेब की जोड़ी बनी रहे, भरा पूरा परिवार रहे उनका …और…और ..मैडम की लंबी उम्र हो …तो क्या लोग झूठ कहते हैं कि किन्नर की दुआ हमेशा क़ुबूल होती है.!”
सोचते- सोचते ही, वो फफक कर रो पड़ी!
एक माँ, दूसरी माँ की तड़प महसूस कर रही थी …भीतर तलक….!
-सर्वाधिकार सुर्क्षित – पूनम झा (महवश)