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19 Feb 2024 · 1 min read

तड़पता भी है दिल

तड़पता भी है दिल
तो कभी बहकता भी है दिल
तुझ को क्यों
खुदा समझता है ये दिल
महक महक उठती हैं साँसे
धड़क उठता है दिल
समेटना चाहे तुझे अपनी बाहों में
क्या अजीब पागल सा है दिल!!!!

हिमांशु Kulshrestha

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