तट की व्याकुलता
तट की व्याकुलता
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कभी व्यथित देखा है ?
नदी के तट को !
हाँ !!!
मैंने देखा है !
एक बार नहीं
कई बार !!
जब बाँधता है
सीमाओं में नदी को !
तो व्याकुल होता है तट ||
क्यों कि सीमाओं में बाँधना
प्रतिबंध है…….
सहजता पर !
स्वतंत्रता पर !
स्वभाव पर !
लेकिन फिर भी
बाँधता है……..
नदी को सीमाओं में ||
ताकि वह मर्यादित रहे
और हद में भी ||
यह सत्य है…..
और शाश्वत भी !
कि हदों पर बंदिश
सद्गुणी भी बनाती है |
बस ! ये सोचकर ही
व्याकुलता को…..
अनदेखा करता है तट ||
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— डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”