तख़्लीक़ी ज़ेहन
कितना भरा-पूरा
यह गुलिस्तां दिखाई देता है!
उजड़ा हुआ क्यों
एक आशियां दिखाई देता है!!
शायद मिली हुई
उसके दिल को गहरी चोट!
तभी वह परिंदा
ग़ज़लख़्वां दिखाई देता है!!
Shekhar Chandra Mitra
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