तक़दीर की उड़ान
तक़दीर की उड़ान में हौंसला रखना होगा
घरौंदों मेंं रहकर भी मंजिल कहाँ मिली है
निकल पड़ो जहान में हौंसला रखना होगा
कदम रूके अगर यूँ मंजिल कहाँ मिली है
मुश्किलों के तुफान में हौंसला रखना होगा
सूरज की तपन हो या अंधियारी हों रातें
कष्टों के यूँ उफान में हौंसला रखना होगा
नाप ले अब उड़कर इस सारे जहान को
अथाह आसमान में हौंसला रखना होगा
जीवन के सफर पे एक पल नहीं ठहरना
‘विनोद’राह अंजान में हौंसला रखना होगा
स्वरचित
( विनोद चौहान )