(( तकरार ))
बहुत जी लिए हम दिल के ज़ज़्बातों को छुपाते हुए
सोचा क्यों ना आज मोहब्बत का इज़हार करते है
बेज़ान ,,बेरंग सी पड़ी ज़िन्दगी को
तेरे प्यार की बारिश से बहार करते है
एक दूसरे का साथ तो हमेसा दिया है हमने
आज मीठी सी मोहब्बत का तकरार करते है
ज़माना भी जिस मोहब्बत का मिशाल दे
आज अपने प्यार से प्यार का इक़रार करते है