तकदीर
दूसरे का हक छीन कर
बनाते हो तकदीर अपनी
ताकते बाजुओ में लाओ
फिर बनाओ तकदीर अपनी
मत बैठो भरोसे
तकदीर दोस्त
मेहनत करो और
संवारो तकदीर दोस्त
तकदीरे भरोसे
बैठता गर सिकन्दर दोस्त
नहीं होता पूरा
फतैह दुनियाँ का सपना दोस्त
अलसी लोगों का जुल्मा है
तकदीर में नहीं दोस्त
पक्के इरादों से जुट जाए
गर तू काहे का भाग्य और
काहे की तकदीर दोस्त
पताका फैलाना है गर
अपनी सफलता का दोस्त
मत बैठो भरोसे तकदीर
जुट जाओ
अपने लक्ष्य पर मेरे दोस्त
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल