तकदीर में तुम नहीं
तकदीर में हमारे
तुम नहीं
फिर भी जिये जा रहे हैं
गम नहीं
तन्हाई का आलम इस कदर
पर बेफिक्र जिन्दगी
पिये जा रहें
अब बात ना कर मोहब्बत की
गमें शाम मयखाने में
गुजारे जा रहे
याद आये तो क्या
आँसुओं का समंदर
छुपाये जा रहे हैं
तकदीर में हमारे
तुम नहीं…
~रश्मि