तंबाकू
याद दिलाकर इक दिन खुदको पूरे साल भूल जाते हैं,
तंबाकू को बनाया हमने ऐसा कि इक पल भी उसके बिन रह नहीं पाते हैं,
हज़ारों की संख्या में इसके सेवन से लोग यहां मरते हैं,
देते हैं सबको दोष पर अपनी गलती कभी न देखते हैं, आती हैं बहुत सी बीमारियां घर बनकर इनकी रिश्तेदार,
पर आंखो में पट्टी बांध इनका स्वागत शान से करते हैं, तंबाकू निषेध के नारे इसके निर्माता के यहां हम बखूबी देते हैं,
पर खरीदते वक्त इन बातो को बड़ी आसानी से खुद से दरकिनार करते हैं,
जिससे छिनती लाखों जिंदगी उसे दो जून की रोटी से भी अज़ीज़ मानते हैं,
तभी तो अन्नदाता की जगह इनकी तिजोरियां शान से भरते हैं,
चाहे बना ले यह अपनों को काल का ग्रास बेहिसाब से,
पर तंबाकू निषेध कहने वाले इसका सेवन करना छोड़ेंगे कभी नहीं,
चाहे जेब अपनी खाली हो जरूरत के वक़्त पर,
पर इसको खरीदना हम भूल जाए ऐसा होगा कभी नहीं,
छूट जाए सब अपना भले ही इसका कोई गम नहीं,
पर तंबाकू के बिन जिंदगी जीना हमें आता ही नहीं