Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Sep 2024 · 1 min read

तंबाकू की पुड़िया पर, लिखा है हर इक बात,

तंबाकू की पुड़िया पर, लिखा है हर इक बात,
मगर दिल की चाहतें, करतीं हैं दिल पर वार।

सिगरेट की डिब्बी में, ज़हर छिपा है यार,
इंसानों की नज़रों में, छुपा है दर्द का भार।

शराब की बोतल में, धुंधला सा है जहाँ,
मोहब्बत के जाम में, खो जाए हर कोई यहाँ।

चेहरों पे लिखा होता, दिल के अंदर का हाल,
तो शायद बच पाते, हर इक ज़ख़्म का सवाल।

इंसानी रिश्तों में, फँस जाए जो दिल से यार,
उस दिल के हालत पर, ना कोई करे विचार।

धोखा है ये जीवन, लगतीं हैं मीठी बातें,
खुशियों के झूठे वादे, ले आते हैं आँसू साथ।

24 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
संघर्ष का अर्थ ये नही है कि
संघर्ष का अर्थ ये नही है कि
P S Dhami
..
..
*प्रणय प्रभात*
2526.पूर्णिका
2526.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
एक औरत की ख्वाहिश,
एक औरत की ख्वाहिश,
Shweta Soni
कामयाबी का नशा
कामयाबी का नशा
SHAMA PARVEEN
ज़िंदगी देती है
ज़िंदगी देती है
Dr fauzia Naseem shad
"फल की आस मत रखें"
Ajit Kumar "Karn"
जीत से बातचीत
जीत से बातचीत
Sandeep Pande
धर्म
धर्म
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
राह हमारे विद्यालय की
राह हमारे विद्यालय की
bhandari lokesh
वायु प्रदूषण रहित बनाओ
वायु प्रदूषण रहित बनाओ
Buddha Prakash
वो भी थी क्या मजे की ज़िंदगी, जो सफ़र में गुजर चले,
वो भी थी क्या मजे की ज़िंदगी, जो सफ़र में गुजर चले,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Kanchan Khanna
प्रदीप : श्री दिवाकर राही  का हिंदी साप्ताहिक (26-1-1955 से
प्रदीप : श्री दिवाकर राही का हिंदी साप्ताहिक (26-1-1955 से
Ravi Prakash
बेसब्री
बेसब्री
PRATIK JANGID
वसंत के दोहे।
वसंत के दोहे।
Anil Mishra Prahari
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुझे इश्क़ है
मुझे इश्क़ है
हिमांशु Kulshrestha
"जंग जीतने के लिए"
Dr. Kishan tandon kranti
शीतलहर (नील पदम् के दोहे)
शीतलहर (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
अड़बड़ मिठाथे
अड़बड़ मिठाथे
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
ग़ज़ल __गुलज़ार देश अपना, त्योहार का मज़ा भी ,
ग़ज़ल __गुलज़ार देश अपना, त्योहार का मज़ा भी ,
Neelofar Khan
आतंक, आत्मा और बलिदान
आतंक, आत्मा और बलिदान
Suryakant Dwivedi
सृष्टि का अंतिम सत्य प्रेम है
सृष्टि का अंतिम सत्य प्रेम है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
स्त्री हूं केवल सम्मान चाहिए
स्त्री हूं केवल सम्मान चाहिए
Sonam Puneet Dubey
हम भी अगर बच्चे होते
हम भी अगर बच्चे होते
नूरफातिमा खातून नूरी
झूठ का आवरण ओढ़, तुम वरण किसी का कर लो, या रावण सा तप बल से
झूठ का आवरण ओढ़, तुम वरण किसी का कर लो, या रावण सा तप बल से
Sanjay ' शून्य'
लम्हें हसीन हो जाए जिनसे
लम्हें हसीन हो जाए जिनसे
शिव प्रताप लोधी
सियासत जाती और धर्म की अच्छी नहीं लेकिन,
सियासत जाती और धर्म की अच्छी नहीं लेकिन,
Manoj Mahato
Loading...