तंत्री छन्द
तंत्री छन्द, प्रथम प्रयास
8,8,6,10 चरणान्त 22
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हे मधुसूदन, यसुदानंदन, हे मोहन, गौ मुरली वाले।
तम दूर सभी, कर दो मेरे, तुम जग के, हो पालनहारे।।
हे मनमोहन, मोरमुकुटधर, नजरों में, यूँ बस जाओ।
पलक बन्द हो, फिर भी कृष्णा, नज़र सदा, तुम मुझको आओ।।
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राधा के संग, रास रचाता, वो मोहन, मोरमुकुट वाला।
माखन चोरी, करके खाता, वो छलिया, गोकुल का लाला।।
वेणु बजैया, धेनु चरैया, कहते हैं, इनको बनवारी।
राधा कृष्णा, की छवि देखो, लगती है, मनमोहक प्यारी।।
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अभिनव मिश्र✍️✍️
(शाहजहांपुर)