ढोंग है तुम्हारा लिखना
स्त्री सौन्दर्य की
बखिया उधेड़ बखान करने वाले
उसके अंग-प्रत्यंग को
तरह-तरह के उपमाओं से
अलंकृत करने वाले
स्त्रियों की महिमा का
गुणगान करने वाले
प्रेम की चाशनी में
कलम डुबा-डुबा कर
प्रेम कविता लिखने वाले
तमाम कवियों !
मैं पूछना चाहती हूँ तुम सबसे
क्या तुम्हें वो सौन्दर्य
वो महात्म्य
अपनी पत्नी में भी दिखता है ?
क्या तुम अपने कहे अनुसार
सभी स्त्रियों को सम्मान दे देते हो ?
क्या तुम अपनी माँ से
उतना ही विशुद्ध प्रेम कर लेते हो
जब वो लाचारी में बिस्तर और
कपड़े में ही मल-मूत्र त्याग देती है ?
क्या तुम अपनी बहन-बेटियों के
प्रेम की स्वीकृति सहजता से दे देते हो ?
अगर नहीं तो
महज़
ढोंग है तुम्हारा लिखना।
©️ रानी सिंह