ढूंढ रहा हूं पथ!
ढूंढ रहा हूं पथ
जो पथ जाए
मंजिल तलक!
राह अनेक हैं
बड़े, छोटे,अनेक
किस पथ जाऊं
सोच में पड़ा
बिन सहारा
देख रहा हूँ,
सामने कोई गतिमान
कोई गतिहीन सब
अपने पथ कि ओर
एक नजर भी नहीं
पड़ती मेरी ओर,
सब अपने लक्ष्य पर
इनमे मानवता कहीं
खोया दिखता है,
कदम कदम पर कोई
अकेला दिखता हैं!
– अभिनव