ढूंढ़ने से भी नहीं मिलते,वो गुजरे पल
ढूंढ़ने से भी नहीं मिलते,वो गुजरे पल, वो पुराने दोस्त
कॉलेज के कैंटीन की चाय,वो दोस्तों की हाय-बाय,
छोटी छोटी खुशियाँ मनाना, दिन त्यौहार पर हल्ला-गुल्ला शोर मचाना, रामलीला के मैदान में चिल्लाना, दशहरे पर जलेबी खाना, रात को छत पर इकट्ठे होना और रेडियो पर गीतमाला सुनना- सुनाना, माचिसों की तिलिया फूंकना और खिलखिलाना, पटाखों के धूम धड़ाके में खो जाना,
मिठाइयों का स्वाद उठाना, दिवाली पर घर सजाना,
सब कामों में माँ का हाथ बंटाना, खुल कर हंसना-हँसाना
हर त्यौहार मनाना, हर त्यौहार मनाना …..