ढूंढता हूँ
“कभी शब्द ढूंढता हूँ, मिलते नही
कभी फ़सानो के अम्बार लग जाते है
कभी तो दिया लेकर ढूंढो, अंधेरा नही मिलता
कभी मेरे पास बैठा शख़्स भी पहचान नही पाते है”
“कभी शब्द ढूंढता हूँ, मिलते नही
कभी फ़सानो के अम्बार लग जाते है
कभी तो दिया लेकर ढूंढो, अंधेरा नही मिलता
कभी मेरे पास बैठा शख़्स भी पहचान नही पाते है”