ढूंढता हूँ
क्या कशिश है न जाने उसको उसकी हर बात में ढूंढता हूँ।
मिले थे कभी हम उस याद वाली मुलाकात में ढूंढता हूँ।
गर्मी में तपन ,ठंड में गलन और बेतुके से दिन,
मैं मिलने का हर अवसर, हर एक बरसात में ढूंढता हूँ।
-सिद्धार्थ पाण्डेय
क्या कशिश है न जाने उसको उसकी हर बात में ढूंढता हूँ।
मिले थे कभी हम उस याद वाली मुलाकात में ढूंढता हूँ।
गर्मी में तपन ,ठंड में गलन और बेतुके से दिन,
मैं मिलने का हर अवसर, हर एक बरसात में ढूंढता हूँ।
-सिद्धार्थ पाण्डेय