Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2017 · 3 min read

‘ढाई आखर’ की भूल-भुलैया

दैहिक प्रेम करना जरूर, परंतु रखना साक्षीभाव।
बेहोशी में यदि किया इसे, निश्चित डूबेगी नाव।।1
प्रेयसी का प्रेम अमर है, मत रखना सुनो यह भूल।
आया है तो यह जाऐगा, उठती-गिरती यह धूल।।2
स्थायी नहीं है बाहरी प्रेम, एक समय इसको मिट जाना।
अजर-अमर इसे मानकर, मत मूढ़ जग में कहलाना।।3
विपरीतलिंगी का लगाव सब, सुख क्षणिक अहसास।
अज्ञानी हैं जो इसमें ढूंढते, शाश्वत् आनंद प्रयास।।4
निंदनीय नहीं है बाहरी प्रेम, परंतु एक समय इसका अंत।
इस तथ्य को जानकर, साधना शुरू आनंद अनंत।।5
क्षणिक प्रेम शुरूआत है, इससे आगे जाना है।
परमपिता से अद्वैत हो, खुद जानना और जनवाना है।।6
नर हो चाहे कोई नारी हो, सुंदरता भरे दिव्यांग।
लेकिन तृप्ति पूरी न हो, बढ़ती जाती है मांग।।7
परस्पर विपरीत को भोगना, सुख क्षणिक की उपलब्धि।
शाश्वत तृप्ति तो मिले तभी, योग साधना से लगे समाधि।।8
एक-दूसरे में डूबकर, आनंदातिरेक से भर जाना।
लेकिन वापिस आना हो, मर्दाना हो चाहे जनाना।।9
अ्रग स्पर्श को करने से, रोम-रोम में सिहरन दौड़।
लेकिन यह सब छिन जाएगा, दिए जाओगे प्रकृति निचोड़।।10
प्रेयसी को जी भर देखना, अंग-अंग में खो जाना।
लेकिन इस सबका अंत है, बस क्षणभर मन बहलाना।।11
प्रेयसी सौंदर्य को निहारकर, हो जाना सुनो मदमस्त।
लेकिन जो सूरज उदय हुआ, उसको हो जाना है अस्त।।12
समीप बैठकर बातें करना, निहारना होकर मौन।
महासुख की हो न अनुभूति, धरा पर ऐसा है कौन।।13
घंटों-घंटों बातें करना, आँखों में आँखें डालकर।
लेकिन यह सब क्षणिक है, रखना कदम संभालकर।।14
दैहिक प्रेम से आगे बढ़े, तो प्रेम करना है सार्थक।
लेकिन यदि देह पर ही रहे, मानो जीवन गया निरर्थक।।15
देह प्रेम पर रूकना नहीं, इससे जाना है आगे।
जिन्होंने यह किया नहीं, सदैव रहेंगे वे अभागे।।16
प्रेयसी जब सुख देती इतना, कितना मिलेगा परमपिता से।
तनाव, तनाव, हताशा से मुक्ति, मिले मुक्ति चिंता से।।17
दर्शन, स्पर्श, संग बैठना; चुंबन संग अंग सहलाव।
इससे आगे भी जाना हो, सिद्ध होंगे बस ख्याली-पुलाव।।18
पलभर करो या जीवनभर, मिलनी है अंत मंे निराशा।
क्षणिक से शाश्वत् की ओर, बचती यही एक आशा।।19
सांसारिक प्रेम की सीख यह, देना है इसका विस्तार।
परमपिता परमेश्वर से, असीमित करना है प्यार।।20
जो सांसारिक पर टिके रहते, उनका दुखदायी हो अंत।
गृहस्थी, संन्यासी, स्वामी हों; सुधारक आचार्य, संत।।21
प्रेयसी से प्रेम खूब हो, बस एक ही रखना है परहेज।
साक्षीभाव सदैव साथ में हो; उद्यान, उपवन या सेज।।22
एक सीमा के बाद दैहिक प्रेम, सिद्ध होकर रहेगा धोखा।
रोना-धोना फिर होगा शुरू, इसका ही शोर जग चोखा।।23
प्रेम में धोखे से बचना यदि, इस तथ्य को लो जान।
क्षणिक शाश्वत् में बदले नहीं, कुछ दिन का यह मेहमान।।24
सदा हेतु जो प्रेम के दावे करे, झूठा है वह धोखेबाज।
झगड़ालू प्रवृत्ति हावी हो, एक दिन बिगड़ेगा अंदाज।।25
सामाजिक रूप से सच यह, प्रेम संग सामाजिक समझौता।
सबको परस्पर रखना ख्याल, काटना उसे ही जो बोता।।26
प्रेम परस्पर खूब करो, इसमें नहीं कोई मनाही।
परंतु प्रतिपल ख्याल यह, यहां वस्तु नहीं मिलती चाही।।27
किसी के प्रति भी प्रेम जगे, जानो स्वयं को भाग्यशाली।
होश, जागरण, विवेक रखो; यह दुनिया है देखी-भाली।।28
सांसारिक प्रेम में जान लो, एक दिन मिलेगा विश्वासघात।
समाज मर्यादा से करो इसे; प्रेयसी, मित्र, पिता या मात।।29
प्रभु से नेह ही अखंड है; शाश्वत, नित्य, परमानंद।
अद्वैत की अकथनीय अनुभूति, बचे मुस्कराना मंद-मंद।।30
==आचार्य शीलक राम==

Language: Hindi
327 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
राम रावण युद्ध
राम रावण युद्ध
Kanchan verma
2983.*पूर्णिका*
2983.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ये
ये
Shweta Soni
रुका तू मुद्दतों के बाद मुस्कुरा के पास है
रुका तू मुद्दतों के बाद मुस्कुरा के पास है
Meenakshi Masoom
मेहनत करने में जितना कष्ट होता है...
मेहनत करने में जितना कष्ट होता है...
Ajit Kumar "Karn"
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Neelam Sharma
महाकाल
महाकाल
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
*अग्रसेन भागवत के महान गायक आचार्य विष्णु दास शास्त्री : एक युग , एक महापुरुष*
*अग्रसेन भागवत के महान गायक आचार्य विष्णु दास शास्त्री : एक युग , एक महापुरुष*
Ravi Prakash
मैं जैसा हूँ लोग मुझे वैसा रहने नहीं देते
मैं जैसा हूँ लोग मुझे वैसा रहने नहीं देते
VINOD CHAUHAN
!! मैं कातिल नहीं हूं। !!
!! मैं कातिल नहीं हूं। !!
जय लगन कुमार हैप्पी
*मुर्गा की बलि*
*मुर्गा की बलि*
Dushyant Kumar
सुहागन की अभिलाषा🙏
सुहागन की अभिलाषा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
👉अगर तुम घन्टो तक उसकी ब्रेकअप स्टोरी बिना बोर हुए सुन लेते
👉अगर तुम घन्टो तक उसकी ब्रेकअप स्टोरी बिना बोर हुए सुन लेते
पूर्वार्थ
Pyasa ke dohe (vishwas)
Pyasa ke dohe (vishwas)
Vijay kumar Pandey
"करिए ऐसे वार"
Dr. Kishan tandon kranti
हमारी जुदाई मानो
हमारी जुदाई मानो
हिमांशु Kulshrestha
अब शिक्षा का हो रहा,
अब शिक्षा का हो रहा,
sushil sarna
अंधा वो नहीं...
अंधा वो नहीं...
ओंकार मिश्र
राष्ट्रीय किसान दिवस : भारतीय किसान
राष्ट्रीय किसान दिवस : भारतीय किसान
Satish Srijan
जब तात तेरा कहलाया था
जब तात तेरा कहलाया था
Akash Yadav
सिंदूर..
सिंदूर..
Ranjeet kumar patre
! विकसित भारत !!
! विकसित भारत !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
अब भी देश में ईमानदार हैं
अब भी देश में ईमानदार हैं
Dhirendra Singh
महबूबा से
महबूबा से
Shekhar Chandra Mitra
*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*
*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*
Shashi kala vyas
पहाड़
पहाड़
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
दो शे'र ( मतला और इक शे'र )
दो शे'र ( मतला और इक शे'र )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
कैमरे से चेहरे का छवि (image) बनाने मे,
कैमरे से चेहरे का छवि (image) बनाने मे,
Lakhan Yadav
हम लहू आशिकी की नज़र कर देंगे
हम लहू आशिकी की नज़र कर देंगे
Dr. Sunita Singh
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
Loading...