ढल गया सूर्य फिर आएगा।
ढल गया सूर्य फिर आएगा।
माना संध्या गहराएगी, फिर रात उतर कर आएगी,
लेकर काले रंग को रजनी पूरे जग को नहलाएगी,
पर भोर सभी को धो देगी इक चिन्ह नहीं रह जाएगा,
ढल गया सूर्य फिर आएगा।
गहराती संध्या करती है, माना उदास अनगिन जन को,
वो बाहर लेकर आती है, मन भीतर छिपे हुए वन को,
पर आंखें मूंद नहीं लेना, जुगनू का दल भी आएगा,
ढल गया सूर्य फिर आएगा।
इस सांझ, रात के रंगों को,अपनी आभा दिखलाने दो,
सूरज की ज्योति नहीं है तो, अंधियारे को इतराने दो,
जो रंग लेकर डूबा है रवि, उससे बेहतर ले आएगा,
ढल गया सूर्य फिर आएगा।
कुमार कलहंस।