ढकी हुई ओरतें भी उघारी गईं…
औरतों को हर जगह,
हर बार , बार – बार नंगा किया गया
ढकी हुई औरतों को भी नंगा किया गया
दहलीज़ों के अंदर
घर के अंधेरे कोनों में घेरा गया
घर की मर्यादा बता …
मर्यादित तरीके से नंगा किया गया
ईंट पत्थरों की दीवारों ने देखा
बिस्तरों के सलवटों ने साथ – साथ रोया
मगर पसरी रही चुप्पी ,
इज्जत और मर्यादा के नाम पड़
जुबान में कीलें ठोकी गई
घराने के इज्ज़त के नाम पे
जब – जब किसी ने किसी को आवाज़ लगाई
उसकी आवाज इज्जत के कुएं में
घुटती ही नज़र आई
प्रतिध्वनि में खानदान के इज्जत
मान मर्यादा की दुहाई सुनाई गई
ढकी हुई ओरतें भी उघारी गईं…
~ सिद्धार्थ