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25 Apr 2022 · 2 min read

*ड्राइवर साहब (लॉकडाउन-कहानी)*

ड्राइवर साहब (कहानी)
☘️🍃☘️🟡🟡☘️🍃☘️🍃
“आप चिंता न करें । एक घंटे से पहले-पहले टैंकर लेकर मैं अस्पताल तक पहुंच जाऊंगा।”
” देखो भाई ! जल्दी करना । हमारे यहां ऑक्सीजन खत्म होने वाली है । मरीज मर जाएंगे ।”
“जमीन – आसमान एक कर दूंगा लेकिन टैंकर समय से पहले पहुंचाऊंगा। ”
जगजीत की यह बातें एक अस्पताल के मालिक के साथ हो रही थीं। उधर अस्पताल के दरवाजे पर मेडिकल स्टाफ और प्रबंधन ऑक्सीजन टैंकर की राह देख रहे थे ,इधर जगजीत तेजी के साथ टैंकर को चलाता हुआ आगे बढ़ रहा था । इसी बीच दोनों का आपस में संवाद चल रहा था । स्थिति की गंभीरता को जगजीत समझ रहा था । उसे मालूम था कि अगर ऑक्सीजन नहीं पहुंची तो सचमुच मौत का तांडव हो जाएगा। लेकिन मुसीबत भी कम नहीं थी। सामने देखा तो सड़क पर जाम लगा हुआ था ।
हे भगवान ! यह कौन सी मुसीबत आ गई । जगजीत ने एक क्षण भी देर किए बिना टैंकर को पतले रास्ते की तरफ मोड़ दिया । कम चौड़े रास्ते पर टैंकर को तेज गति से चलाना एक कठिन काम होता है लेकिन और कोई चारा भी तो नहीं था । तेजी के साथ जगजीत आगे बढ़ता गया ।
इसी बीच फिर किसी का फोन आया । जगजीत ने केवल इतना ही कहा “मुझे पहुंचने में दो -चार घंटे लग जाएंगे । तब तक तुम सारी हालत संभाले रखना।”
बातचीत सुनकर जगजीत की बगल में बैठे हुए उसके साथी विनोद को कुछ आशंका – सी हुई ।
“क्यों जगजीत ! कोई खास बात हुई ? किसका फोन था ? ”
जगजीत ने चेहरे पर बिना कोई भावनाएं लाए हुए जवाब दिया ” कोई खास बात नहीं है । अस्पताल पहुंचना है ,इसके अलावा और कुछ भी मुझे याद नहीं है ।”
विनोद समझ गया कि जगजीत ने कोई बड़ी बात टाल दी है । और किया भी क्या जा सकता था ? हालत ही ऐसी थी कि सिवाय टैंकर को अस्पताल तक पहुंचाने के और कुछ याद करने का प्रश्न भी तो नहीं उठता था ।
आखिर मंजिल मिल ही गई । अस्पताल परिसर में जगजीत टैंकर को लेकर प्रविष्ट हुआ । दसियों डॉक्टर, नर्स तथा स्टाफ के जिम्मेदार लोग ऑक्सीजन के टैंकर की प्रतीक्षा कर रहे थे । जगजीत के टैंकर खड़ा करते के साथ ही सब ने तालियां बजाकर हर्ष – ध्वनि की । जगजीत टैंकर से नीचे उतरा और फूट-फूट कर रोने लगा । सभी स्तब्ध रह गए । क्या यह खुशी के आंसू हैं ?
“ड्राइवर साहब ! क्यों रो रहे हो ? अब तो सब खुश हैं ! ”
जगजीत ने अपना रोता हुआ चेहरा ऊपर किया और बोला ” मैंने आपका काम कर दिया । अब मुझे रोने दो । मेरी माँ को मरे हुए एक घंटा हो गया है । ”
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
115 Views
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