डोर में ऐसी बँधे भाई बहन
स्नेह में पगता हुआ उल्लास है
भातृ बहना में रहा अहसास है
डोर में ऐसी बँधे भाई बहन
एक दूजे का बने विश्वास है
हरकते सब याद आती अब तलक
चुलबुले पन का यहीं आभास है
दूर रहते जब बहन भाई तभी
तब रहे उनको मिलन की आस है
जब बहन की चाह पूरी हो न तो
तब शिकायत मात के ही पास है