Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Aug 2021 · 1 min read

डोर में ऐसी बँधे भाई बहन

स्नेह में पगता हुआ उल्लास है
भातृ बहना में रहा अहसास है

डोर में ऐसी बँधे भाई बहन
एक दूजे का बने विश्वास है

हरकते सब याद आती अब तलक
चुलबुले पन का यहीं आभास है

दूर रहते जब बहन भाई तभी
तब रहे उनको मिलन की आस है

जब बहन की चाह पूरी हो न तो
तब शिकायत मात के ही पास है

77 Likes · 1 Comment · 461 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
साहिल पर खड़े खड़े हमने शाम कर दी।
साहिल पर खड़े खड़े हमने शाम कर दी।
Sahil Ahmad
तन्हाई
तन्हाई
ओसमणी साहू 'ओश'
जीयो
जीयो
Sanjay ' शून्य'
दो जून की रोटी
दो जून की रोटी
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*तजकिरातुल वाकियात* (पुस्तक समीक्षा )
*तजकिरातुल वाकियात* (पुस्तक समीक्षा )
Ravi Prakash
देख तुझको यूँ निगाहों का चुराना मेरा - मीनाक्षी मासूम
देख तुझको यूँ निगाहों का चुराना मेरा - मीनाक्षी मासूम
Meenakshi Masoom
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इंसान
इंसान
Vandna thakur
"औषधि"
Dr. Kishan tandon kranti
चंद्रयान
चंद्रयान
डिजेन्द्र कुर्रे
मकसद ......!
मकसद ......!
Sangeeta Beniwal
रूप जिसका आयतन है, नेत्र जिसका लोक है
रूप जिसका आयतन है, नेत्र जिसका लोक है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
■ आज का विचार...
■ आज का विचार...
*प्रणय प्रभात*
हार
हार
पूर्वार्थ
2503.पूर्णिका
2503.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
इंतिज़ार
इंतिज़ार
Shyam Sundar Subramanian
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो - संदीप ठाकुर
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
करो तारीफ़ खुलकर तुम लगे दम बात में जिसकी
करो तारीफ़ खुलकर तुम लगे दम बात में जिसकी
आर.एस. 'प्रीतम'
अब तो तुम्हारी मांग में सिंदूर भरने के बाद ही,
अब तो तुम्हारी मांग में सिंदूर भरने के बाद ही,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिन्दगी
जिन्दगी
लक्ष्मी सिंह
-शेखर सिंह
-शेखर सिंह
शेखर सिंह
*
*"गणतंत्र दिवस"*
Shashi kala vyas
हिसाब हुआ जब संपत्ति का मैंने अपने हिस्से में किताबें मांग ल
हिसाब हुआ जब संपत्ति का मैंने अपने हिस्से में किताबें मांग ल
Lokesh Sharma
दुःख इस बात का नहीं के तुमने बुलाया नहीं........
दुःख इस बात का नहीं के तुमने बुलाया नहीं........
shabina. Naaz
तेरी सुंदरता पर कोई कविता लिखते हैं।
तेरी सुंदरता पर कोई कविता लिखते हैं।
Taj Mohammad
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
माँ के बिना घर आंगन अच्छा नही लगता
Basant Bhagawan Roy
* किसे बताएं *
* किसे बताएं *
surenderpal vaidya
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वसंत - फाग का राग है
वसंत - फाग का राग है
Atul "Krishn"
Loading...