चुनिंदा बाल कविताएँ (बाल कविता संग्रह)
चुनिंदा बाल कविताएँ
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1.
हम
जब तक
मैं
मैं रहूंगा
और
तुम
तुम रहोगे
देश बंटता जाएगा।
जब
मैं
मैं न रहूंगा
और
तुम
तुम न रहोगे
हम मिलकर रहेंगे.
देश बढ़ता जाएगा
——
2.
प्यारा भारत देश हमारा
प्यारा भारत देश हमारा
सबसे प्यारा सबसे न्यारा.
वन्दे मातरम राष्ट्रगीत
जनगन राष्ट्रगान हमारा.
तीन रंगों का ध्वज हमारा
केसरिया, श्वेत और हरा.
केसरिया त्याग, श्वेत शान्ति का
समृद्धि का प्रतीक है हरा.
प्यारा भारत देश हमारा
सबसे प्यारा सबसे न्यारा.
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई
रहते यहाँ जैसे भाई-भाई.
विविध संस्कृतियों का सम्मिलन
दिखता जिनमें अजब अपनापन.
माँ के आँचल सामान
हम सबको है ये प्यारा.
इसकी धरा पर तो हमारा
तन-मन-धन न्योछावर सारा.
हरा-भरा है इसकी धरा
दिखे अद्भुत, अनुपम नजारा.
प्यारा भारत देश हमारा
सबसे प्यारा सबसे न्यारा.
——
3.
चलो स्कूल
खेलना कूदना
उधम मचाना
प्यारे बच्चों जाओ भूल।
घंटी बजी
बस्ता सजी
चलो चलो जी स्कूल।
पुस्तक उठाओ
पाठ पढ़ो
मिटे जिससे अज्ञानता का शूल।
——
4.
करो पढ़ाई
बीत गयी अब गर्मी छुट्टी
बज उठी टन-टन घंटी.
स्कूल के द्वार फिर खुले
चले पढ़ने बच्चे सभी.
कॉपी कालम और टिफिन
स्कूल बैग में हैं भरे सभी
ये ही देश के भविष्य हैं
जो अज्ञानता से न डरें कभी.
तुम भी मेरे प्यारे बच्चों
मन लगाकर खूब पढ़ना
आलस्य को त्याग कर
अपना भाग्य स्वयं गढ़ना.
——
5.
जुगनू
अंधेरे के खिलाफ
लड़ता है जुगनू।
संकट में न घबराने की
सीख देता है जुगनू।
घोर निराशा में भी
उम्मीद की किरण
जगाता है जुगनू।
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6.
गर्मी आई.
सर्दी को देकर विदाई
लो भैया अब गर्मी आई.
मोज़े-मफलर, कोट रजाई
शाल-स्वेटर, छोड़ो भाई.
चाय-कॉफी की हो गई छुट्टी
आइसक्रीम-कुल्फी की आई बारी.
गर्मी के संग परीक्षा भी आई.
बच्चों करो तुम खूब पढ़ाई
पास हुए, तो मिलेगी बधाई
वरना होगी खूब खिंचाई.
सर्दी को देकर विदाई
लो भैया अब गर्मी आई.
——
7.
त्यौहार
त्यौहार हमारे बड़े निराले
राखी, रंग और दीपों वाले।
पोंगल, ईद, दीवाली, क्रिसमस, बैसाखी
मिलजुल कर मनाते हैं हम सभी।
शत्रुता मिटाकर मित्रता बढ़ाते
मिलजुल कर रहने का पाठ पढ़ाते।
त्यौहार जीवन में उल्लास भरता
तभी तो हमें इनका इंतजार रहता।
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8.
मेहनत
सोचते रहने से
सोते रहने से
बैठे रहने से
गाल बजाने से
कुछ हासिल नहीं होता है।
जग हँसाई होती है।
समय बीत जाता है।
बाद में पछताना पड़ता है।
मेहनत करने से ही
कार्य सम्पन्न होता है।
लक्ष्मी घर आती है।
समाज में इज्जत मिलती है।
मानो मेरा कहना सभी
रोना-धोना छोड़ो अभी
करो तुम कुछ ऐसा काम
जग में हो जिससे नाम।
9.
सफलता
अब तक क्या किया
मत सोच उस पर
आगे क्या करना है
सोच जरूर उस पर
सफलता क्यों नहीं मिली
उन कारणों का पता कर
अगर सफलता पानी है
तो उन्हें दूर कर
जीवन एक संघर्ष है
हमें इसमें जीतना है
आलस्य को छोड़कर
निरंतर लक्ष्य की ओर
कदम बढाते जाना है.
डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
विद्योचित लाईब्रेरियन
छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम
छ.ग.माध्यमिक शिक्षा मंडल परिसर
पेंशनबाड़ा, रायपुर (छ.ग.) पिन 492001
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