डॉ . कलाम
1.
जन्म हुआ रामेश्वरम , तहँ बेचे अखबार ।
मगर स्वप्न पर अडिग थे , जीता सबका प्यार ।।
2.
जन गण मन के हित सदा , प्रबल चाह उत्थान ।
वैज्ञानिक उदारमना , था ‘ कलाम ‘ संज्ञान ।।
3.
वो न हिन्दू न मुसलमाँ , थे सच्चे इंसान ।
कभी कभी ऐसे सुजन , करते जन कल्याण ।।
4.
वैज्ञानिक अरु दार्शनिक , भाव सर्व सम लीक ।
भारतमाता के बने , सच्चे खरे प्रतीक ।।
5.
‘अग्नि तीन ‘सहयोग से , बने ‘ मिसाइलमेन ‘
युवजनों के हृदय में , बनी विश्वास ‘चेन ‘।।
6.
खुले हृदय मस्तिष्क से , विजन “बीस ” को पाल ।
मिसाइलमेन ने किए , अद्भुत नए कमाल ।।
7.
“विंग्स ऑफ फायर “लिखी , आत्मकथा की बीन ।
स्वयं राष्ट्रपति जब रहे , देखे स्वप्न नवीन ।।
8.
बने राष्ट्रपति बाद में , पहले ” भारत रत्न ” ।
‘अग्नि तीन ‘ अरु पोखरण , उनका सफल प्रयत्न ।।
9.
अगर चमकना सूर्य सा , जलना वैसा सीख ।
अपने जीवन को तपा , चमके उजास बीख ।।
10.
जुड़ें इफ्तार भोज से , खाते पीते लोग ।
भोज इफ्तार के रुपै , अनाथ हित उपयोग ।।
11.
लाख साड़े तीन बने , आटा ,कम्बल, दाल ।
घर अनाथ अठाइस में , लाभ मिला तत्काल ।।
12.
छुट्टी मेरी मृत्यु पर , करे नहीं सरकार ।
सतत काम संकल्प से , करें राष्ट्र उपकार ।।
13.
स्वाधीनता, सक्षमता , अरु विकास हो साथ ।
बात जरूरी तीन ये , देश ‘ हितैषी ‘ गाथ ।।
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प्रबोध मिश्र ‘ हितैषी ‘
वरिष्ठ साहित्यकार ,
बड़वानी (म. प्र . ) 451 551