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3 Jun 2017 · 1 min read

” डूब जाऊं झील से गहरे नयन ” !!

ढूंढता रहा जिसे गगन गगन !
तुम उजाले की वही किरन किरन !!

उम्र की दहलीज़ पर यौवन खड़ा !
मुस्कराए शाख पर जैसे सुमन !!

नज़रें उठा कर देखलो जिस और तुम !
डोल जाये झूम कर बैरागी मन !!

ख़ामोश आँखों में छुपी गहराइयाँ !
करवट बदल कर जागते सोये सपन !!

अंजुरी भर रंगों को और बिखरा दो !
डूब जाऊं झील से गहरे नयन !!

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