डूबती कश्ती को साहिल दे।
ऐ खुदा तू मेरी इस जिंदगी का कोई तो हासिल दे।
मजधार में फसीं हुयी मेरी डूबती कश्ती को साहिल दे।।1।
ये तो इंसानी अकीदे पे है कौन किसको खुदा कहे।
कभी भी मज़हब ए दीन पे बहस ना करो जाहिल से।।2।।
गुफ्तगू करके ही हर मसले का हल निकाला करो।
गर ना यकी आए इस बात पे तो पूंछ लो आलिम से।।3।।
वैसे तो सबके ही लिखने का तरीका जुदा होता है।
पर लफ़्ज़ों को अन्दाज़ देना है तो सीखो ग़ालिब से।।4।।
कितनी भी शिद्दत से चाहलो किसी को दुनियां में।
यह इश्क मुकम्मल ना होता है जाने क्यों आखिर में।।5।।
यूं तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है पाने को जहां में।
बस शर्त है यही तू सदा दूर रखे खुद को बातिल से।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ