[[ डूबती कश्ती को मेरी फिर किनारा मिल गया ]]
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ज़िन्दगी में इक सहारा जब तुम्हारा मिल गया
डूबती कश्ती को मेरी फिर किनारा मिल गया
झूमता ही नाचता गाता रहा खुशियों से मैं
यूँ लगा जैसे की मुझको एक तारा मिल गया
इक नदी की धार से बहने लगे मेरे नयन
जब किताबों में छिपा वो खत तुम्हारा मिल गया
जब तुम्हारा आख़री खत हाथ में आया सनम
जिंदगी जीने’ का मुझको इक सहारा मिल गया
मैं दुआएँ माँगता जब फिर रहा था दरबदर
तब मुझे नाकामियों का एक तारा मिल गया
चाह तेरी देख कर मेरे सनम यूँ टूटकर
लग रहा है प्यार मुझ को ढेर सारा मिल गया
नितिन “रौनक़”