डियर जिन्दगी-फिर मिलेंगे!
#डियर_जिन्दगी – फिर मिलेंगे ।
जिन्दगी कभी कभी ऐसे मोड़ पर ले आती जन्हा से जिन्दगी शुरू करना कठिन हो जाता है ।ऐसे जिन्दगी बहुत ही कम लोगों को मिलती है जो पूरी जिन्दगी को जानकर भी अंजान जिन्दगी के साये मे जीते रहते है । अखिल ये उसी शख्स का नाम है जिसके साथ जिन्दगी अपनी कहानी लिखती है । एक रोता हुआ बच्चा अपने कंधों पर बड़ा सा बस्ता लटकाए हुऐ अपने स्कूल ना जाने की जिद पर अड़ा रहता है । लाख समझाने और जोर जबरदस्ती करके उसके माता – पिता उसे स्कूल भेज देते है । स्कूल मे उसके धीरे धीरे काफी दोस्त बन जाते है और कल तक जो बच्चा स्कूल ना जाने के लिए रोता था , आज वहीं हंसते हुऐ स्कूल जाता है । सुकून की पढ़ाई और मस्ती से अखिल की जिन्दगी आगे बढ़ रही थी , पर इस जिन्दगी को अखिल के साथ जीना था । सभी बच्चों को उनके कक्षा मे रिजल्ट बंटा जा रहा था और उन्हें समझाया जा रहा था की वो अब जिन्दगी के उस मोड़ पर है जन्हा से उनका करियर बनता है । अखिल भी अपने क्लास पांच मे रिजल्ट ले रहा है । सभी उसके दोस्त और वो काफी खुश है , और खुशी इस बात की है की वो अब दूसरे स्कूल मे पढ़ेंगे । वैशाली जो बचपन से ही उसके साथ पढ़ती है वो आकर अखिल से उसका डिविशन पूछती है । अखिल और वैशाली दोनों फस्ट डिविशन पास है ।
वैशाली और अखिल दोनों स्कूल से घर चले जाते है और छुट्टियों बिताने लगते है । दो दिन घर पर बिताने के बाद अखिल और वैशाली को अपने अंदर कुछ हलचल सी लगती है । जैसे जैसे दिन बीतते जाते दोनों को अपने स्कूल और दोस्तों की याद सताने लगी है । उन्हें अब ऐसा लगने लगा है जैसे उनकी जिन्दगी का कोई हिस्सा अचानक से टूट गया है । दोनों की चेहरों की मुस्कुराहट गायब है, वो खोये खोये से रहते है । और एक दिन अखिल को बाजार मे वैशाली दिखती है वो आवाज लगता है पर शोर शराबे के कारण वैशाली आवाज सुन नहीं पाती है । अखिल उसके पूछें भागता और उसके सामने जाकर खड़ा हो जाता है । जब दोनों एक दूसरे को देखते है तो वो अचानक से खिल जाते है चेहरे पर मुस्कान आ जाती है । और एक सुकून दिखाई देता है दोनों के चेहरे पर । वैशाली और अखिल आगे बढ़ते है और एक दूसरे से पूछते है तुम इसके बाद कंहा पर एडमिशन लोगे ।
वैशाली बोलती है मैं अब अपनी मौसी के यंहा पर रहकर वहीं पढ़ाई करूंगी और अखिल बोलता है मैं अपने यंहा शहर मे ही एडमिशन लूंगा । रात को जब दोनों सोते है तो उन्हें बहुत सुखद अहसास होता है । और जो बेचैनी थी वो गायब हो जाती है । उस रात उन्हें जैसी नींद आई वैसी शायद ही पहले कभी आई हो । वैशाली अपनी मौसी के यंहा पढ़ने चली जाती है और अखिल अपने ही शहर मे पढ़ता है । धीरे धीरे समय के साथ दोनों को एक दूसरे की याद आती है । और शायद वो दोनों भी समझ चुके होते है की वो एक दूसरे को पसंद करते है , प्यार करते है । एक दूसरे की यादों को सिला वो लगभग छह महीने ही रखा पाते है और अपने नये स्कूल और दोस्तों के मिल जाने के बाद उनकी यादें मिटने लगती है । पांच साल बाद अखिल अपने बोर्ड एग्ज़ेम की तैयारी में लगा है और उधर वैशाली भी । अखिल अपने दोस्तों को फोन करके पूछता है की कल कितने बजे निकलना है । सभी दोस्त सुबह छह बजे निकलने को बोलते है क्योंकि एग्ज़ेम सेंटर घर से 31किलो मीटर दूर है । अखिल नहा कर अपने दोस्तों के साथ अपने एग्ज़ेम देने के लिए निकल जाता है । अखिल देखता है की रास्ते में काफी भीड़ लगी हुई है और उसे पता चलता है की किसी का एक्सीडेंट हो गया है ।वो पास जाकर देखता है तो पता चलता है की उसके दोस्त नमन और उसके पापा का एक्सीडेंट हुआ है, तुरत सभी बताया जाता है और अखिल व उसके साथी अपना एग्ज़ेम देने अपने सेंटर पहुंच जाते है । अखिल काफी दुःखी होता है की उसके दोस्त नमन का एक्सीडेंट हो गया है । वो अपने रोल नंबर वाली सीट पर बैठ जाता है उदास मन के साथ । क्वेस्चन पेपर सभी को मिलते है और अखिल भी अपना पेपर हल करना शुरू कर देता है ।एक घंटे की जब बेल बजती है तो वो हड़बड़ा जाता है अपने बगल में बैठें साथी से बीना उसकी तरफ देखें उससे पूछता है समय क्या हुआ है । तभी उसके कानों में लड़की आवाज सुनाई देती है 9:15हुआ है, एकदम से अखिल उस लड़की की तरफ देखता और पता है उसके बगल में एक लड़की बैठी है और उसे पता भी नहीं चला , शायद नमन का एक्सीडेंट में वो काफी खोया गया था । और फिर अचानक से वो लड़की भी अखिल की तरफ देखती है, और अखिल के मुँह से दबी हुई आवाज निकलती है वैशाली तुम । और जिन्दगी फिर यही से अखिल और वैशाली के साथ फिर कुछ बड़ा करने वाली है । एग्ज़ेम खत्म होता है और दोनों गेट के बाहर मिलते है , दोनों एक दूसरे के बोलने का बेसब्री से इंतजार करते है पर दोनों में से अखिल बोलने की हिम्मत जुटा पता है ।अखिल पूछता है वैशाली मुझे तो मालूम ही नहीं था की तुम्हारा भी बोर्ड एग्ज़ेम इसी स्कूल में है । वैशाली बोलती है की मुझे तो पता था की अखिल के स्कूल का सेंटर भी यंही आया है । एक दूसरे से दोनों बातें करते है और फिर दोनों के सामने एक ही प्रश्न आता है की क्या तुमने मुझे इन पांच सालों में कभी याद किया । अखिल बोलता है छह महीने या एक साल तक या अभी भी तुम्हें याद करता हूँ । वैशाली का जवाब होता है रोज अपने स्कूल के समारोह वाली फोटो में तुम्हें देखती थी फिर दो साल बाद तुम्हें फ़ेसबुक पर देखती थी और आज यंहा । लगातार होते एग्ज़ेम और उसके बाद वैशाली अखिल का एक दूसरे से बात करने का सिलसिला बोर्ड एग्ज़ेम के आखिरी पेपर में खत्म हो जाता है । उन दोनों के फिर कुछ नहीं बचता है बचता है तो एक दूसरे के बातें, यादें और फ़ेसबुक id और नंबर । और फिर उनकी जिन्दगी वैसी ही बेचैनी वैसा ही बवंडर उठता है । यही बेचैनी उन दोनों को बताता है की यही प्यार है । समय के साथ दोनों एक दूसरे से फ़ेसबुक और वाट्सएप पर बातें करते रहते है और प्यार का आगाज होता है । दोनों एक दूसरे के बारे में बता देते है। जिन्दगी ऐसे ही चलती जाती है और दोनों को दो साल हो जाते है बात करते हुऐ । वैशाली अपनी मौसी के घर से वापस अपने घर घूमने आती है या कहे की किसी तरह से बहाना बनाकर अखिल से मिलने आती है । वैशाली एक दिन पूरा अपने घर से ही अखिल खोजती रही पर अखिल कंही दिखाई नहीं दिया । दो दिन तीन बीत गए , अखिल का फोन लगाने पर भी फोन नहीं लगा और इस तरह से वो रोज घर की छत से फोन से अखिल से बात करने की कोशिश करती है पर अखिल नहीं मिलता है । वैशाली हर एक दिन वाट्सएप , फ़ेसबुक पर अखिल को मैसेज करती रहती है पर कोई जवाब नहीं आता है । वो रोती रहती । और फिर वैशाली वापस अपने मौसी के घर चली जाती है । अब पहले से कंही ज्यादा वैशाली के मन में बेचैनी होती है वो सोचती रहती है ऐसा क्या हो गया जो अखिल मुझसे मिलना बात करना भी नहीं चाहता वहीं तो रोज कहता था गाव कब आओगी मुझसे मिलने कब आओगी । और उससे मिलने गई तो मुझे मिला ही नहीं । और ऐसे ही वैशाली को धीरे धीरे अखिल बुरा लगने लगता है । कल तक जो प्यार सच्चा था आज उसे वो सब झूटा लगने लगा । अब वीं गुमसुम सी रहने लगी , रोज वो वाट्सएप देखती और फ़ेसबुक पर चेक करती की शायद अखिल का कोई मैसेज आया हो । पर कुछ नहीं हुआ छह से सात महीने और देखते देखते एक साल बीत जाता है ।
अब वैशाली हँसती है, मजाक करती है और खुश रहती है , पर आज भी कंही न कंही उसे अखिल की यादें कुरेद्ती है । उसे दर्द देती है , वो हर शाम उसे याद करती बस पहले की तरह रोती नहीं है । खुश है । अब वो एक बार फिर से अपने घर जा रही है, अपने मम्मी और पापा से मिलने और मन में अखिल को बसाकर की शायद को मिल जाय । घर पहुंचती है, और फिर से अखिल को खोजने लगती है । दिन पर दिन बीतते जाते है और एक दिन वो अपनी पूरी हिम्मत और के साथ अखिल के घर जाती है और दरवाजे की बेल बजाती है । अखिल के घर से उसकी माँ बाहर आती है और वैशाली को देखकर बोलती है बिटिया बहुत साल बाद हमारे घर आई हो आओ बैठो । अखिल की माँ उसका हालचाल पूछती है और वैशाली की आंखें अखिल को खोजती है । पर अखिल कंही नहीं दिखाई देता है और आखिर कार वैशाली हिम्मत करके अखिल की माँ से पूछ ही लेती है -वो आंटी अखिल नहीं कहीं दिखाई दे रहा है । इतना सुनते ही उसकी माँ एकदम से शांत हो जाती है और दीवार पर टंगी अखिल की फोटो देखकर आंखों में आंसू भर लेती है । वैशाली कुछ समझ ही नहीं पाती है और दीवार पर टंगी अखिल की फोटो देखकर उसे किसी अनहोनी का अंदेशा होने लगता है । अखिल की माँ कुछ नहीं बोलती है और वैशाली अपने घर आ जाती है। वैशाली घर पर अपनी मम्मी से आकर पूछती है मम्मी अखिल नहीं दिखाई देता है आज उसकी मम्मी अखिल के बारे में पूछने पर रो रही थी । वैशाली की माँ उसे बताती है उसकी माँ से जब भी को अखिल के बारे में पूछता है तो वो रो देती है । वो आज तक अखिल को नहीं भुला पाई । वैशाली पूछती है पर क्यों ऐसा क्या हो गया । वैशाली की माँ बताती है की उसे मरे हुऐ दो साल हो गए है , एक रोड एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गई थी । एक्सीडेंट इतना भयानक था की उसका शरीर भी पहचान में नहीं आ रहा था । और जब अखिल की लाश घर पर आई तो उसकी माँ उसे पहचान नहीं पा रही थी और रोते हुऐ कह रही थी मेरा अखिल नहीं मर सकता । वहीं गम आज तक उसकी माँ को है ।ये सब सुनकर वैशाली की आंखों में आंसुओं का संमदर भर जाता है अगर वो थोड़ी देर और अपनी मम्मी के पास रुकी तो उसकी आंखों का सैलाब वहीं बह जाएगा । वैशाली भागती हुई अपने कमरे को बंद करके एक कोने में बहुत रोती है बिना किसी आवाज के । आज मानो उसके आसुओं से पूरा शहर डूबने वाला है । आज मानो उसका सब कुछ लूट गया हो , उसके जीने का मकसद ही ना रह गया हो । उसके सिसकते होठ बस अखिल का ही नाम ले रहे थे ।
उसकी आंखें इस पूरी दुनिया में बस अखिल को ही देखना चाह रही थी । रोते रोते दोपहर से शाम और शाम से रात , रात से दिन ना जाने कब बीतने लगा । इस तरह कई शामें , कई दिन बस आसुओं के सैलाब में बहती गई । दिन बीते , महीने बीते और धीरे धीरे सात महीने बीत गए , अब वो अखिल को मिटाने लगी और उसकी यादों से दूर जाने की सोच ली । पहले वैशाली अपनी मौसी के यंहा अपनी इंटर की पढ़ाई पूरी की और फिर स्नातक की पढ़ाई के लिए वो लखनऊ चली जाती है । लखनउ में उसे स्कॉलरशिप मिलती है और वो रूस चली जाती पोस्ट ग्रेजुयेट के लिए । रूस में वैशाली का आखिर साल चल रहा हैं । अब वो बहुत खुश रहती है, उसके जीवन में अखिल की कंही भी कोई यादनहीं है । अब वो खुश है उसके कई सारे दोस्त भी है । उसके दिमाग और दिल में अखिल के लिए कोई भी जगह नहीं है ।
वैशाली की जिन्दगी में सब सामान्य है और वो अब रूस में एक लड़के को पसंद करती है जिसकी हरकतें बिल्कुल अखिल जैसी मिलती है उस लड़के का नाम है हैजस । वैशाली शायद हैजस में अखिल को देखती हो । अब वो हैजस के साथ डिनर और नाइट क्लब भी जाती है । लेकिन जिन्दगी का खेल अभी खत्म नहीं हुआ है । ये जिन्दगी वैशाली को कुछ बताना चाहती है । वैशाली अपने कमरे में अपने एग्ज़ेम की तैयारी कर रही है और उसके पास में रखा फोन थोड़ी सी आवाज करता है शायद वो कोई वाट्सएप मैसेज होगा वो उसे नजरअंदाज करती है और अपनी पढ़ाई में लग जाती है । रात के 12:00 बजे वो अपना फ़ेसबुक चेक करती है किसी अननोन नंबर से मैसेज आया है। वो मैसेज ओपन करती है , उसमें लिखा है “वैशाली मैं नमन अखिल का दोस्त , तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है। मेरा प्लीज़ अपना नंबर दो या मेरे इस नंबर पर कॉलेज करो ‘ ‘ । वैशाली बिना उसे कुछ भी सोचे तुरंत उसे अपना नंबर भेज देती है । और फिर नमन के मैसेज का इंतजार करती है। शायद नमन सो चुका होगा और वो बिस्तर पर लेटकर सोना चाहती है, उसे नींद नहीं आ रही , फिर से वहीं 15साल वाली बेचैनी 10साल वाला प्यार और पांच साल पहले वाला अखिल याद आ रहा है । वो अपने दिमाग से बार बार उसे हटाने की कोशिश करती पर वो फिर से अखिल पर आकर रुक जाती है । ये जिन्दगी भी वैशाली को उसी मोड़ पर ले आई जिस मोड़ पर वो अखिल को छोड़ आई है । नमन के एक मैसेज ने उसके अंदर सालों पहले यादें के दफन तूफान को जगा दिया है । किसी तरह उसकी सुबह हुई और वैशाली ने सोचा मैं ही नमन को फोन करती हूँ आखिर इतने साल बाद वो अखिल के बारे में क्या बात करना चाहता है जबकि वो अब इस दुनिया में है ही नहीं ।पर वैशाली हिम्मत नहीं जुटा पाती है नमन से बात करने को और तभी नमन का फोन आता है और वो बोलता है वैशाली ! वैशाली के मुँह से अचानक निकलता है अखिल ! नहीं ये नमन नहीं है ये अखिल है! वो ठहर सी जाती है, फोन पर नमन बोलता नहीं वैशाली मै अखिल नहीं नमन हूँ तुमसे मिलना है तुम्हें कुछ बताना है, लेकिन वैशाली को लगता है ये अखिल है । वैशाली बोलती है तुम झूठ बोल रहे हो तुम अखिल हो वो रोती जाती है और कहती जाती है तुम अखिल और वैशाली फोन काट देती है । उसे शायद उम्मीद ही ना रही हो की अखिल बोल रहा है मैं नमन । और वो आज पूरी रात पहले जैसे रोती है । कुछ संभलने के बाद वैशाली खुद नमन को फोन करती है और बताती ।
है की उसे अब किसी से बात नहीं करनी है किसी अखिल के बारे में भी नहीं । वैशाली बात करते करते रोने लगती और बोलती है तुम झूठ बोल रहे हो की तुम अखिल नहीं नमन हो । नमन उसे समझता है और बताता है की वैशाली अखिल जब तुम अपना शहर छोड़कर अपनी मौसी के घर पढ़ने गई थी तभी से अखिल उदास रहने लगा था , उसे पता नहीं था की ये उदासी ये बेचैनी सिर्फ और सिर्फ वैशाली तुम्हारे लिए होती थी । तुम्हारे जाने के बाद वो टूट चुका था । लेकिन वो संभला मगर बोर्ड एग्ज़ेम में तुम्हें देखकर एक बार फिर से उसे तुमसे प्यार हो गया । बोर्ड एग्ज़ेम के बाद तुम्हें वो प्यार करता है ऐसा बताने वाला था , पर हिम्मत नहीं जुटा पाया । तुम्हारे जाने के बाद वो तुम्हें ही याद कर रहा था और घर आते वक्त उसका एक्सीडेंट हो गया था । लाख कोशिश हुई मगर उसे कोई बचा नहीं पाया , अखिल तो मर चुका था मगर उसके हाथ में तुम्हारा नंबर था । जब अखिल की मम्मी ने मुझे अखिल का फोन दिया की अब ये तू चला नमन । मैने उसके वाट्सएप , फ़ेसबुक हर जगह सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा नाम पाया । उसके मैसेज में वैशाली के लिए जो प्यार देखा मैं रोने लगा था । अगले दिन जब तुमने अखिल के मौत के बाद मैसेज किया था । की अखिल आई लव यू ,मैने वो मैसेज पढ़ा था । की तुम्हें कैसे बताऊं की वो मर चुका है, शायद ये सदमा तुम बर्दाश्त ना कर पाओ । इसीलिए मैने ही रेप्लय दिया था , और तुम से फोन पर मैने ही अखिल बनकर बात की । मै तुम्हें सब सच बताना चाह रहा था पर कभी हिम्मत नहीं । इसीलिए जब तुम घर आई थी तब भी मैं तुम्हें सच बता ना सका । एक कोने में खड़ी वैशाली ये सब सुनकर रो रही है और नमन भी रो रहा है । और वैशाली के आंसुओं से भीगे होठ नमन से पूछ रहे थे आखिर तुमने पहले मुझे ये सब क्यों नहीं बताया । नमन माफी मँगता और कहता है अखिल के लिए जो तुम्हारा प्यार था उसे नफरत में बदलना चाहता था ताकि तुम अखिल को आसानी से भुला पाओ और अपनी जिन्दगी में आगे बड़ों । नमन रोते हुऐ कहता है पर ये मै नहीं कर सका । वैशाली ये सब बातें सुनकर चिल्लाती है नमन तुमने मुझे बताया क्यों नहीं कम से कम एक आखिरी बार उसे जी भर के देख तो लेती । वैशाली रोते हुऐ कहती अखिल के लिए कल भी प्यार था और आज भी प्यार है मैं उसे नहीं भुला सकती । आई लव y यू अखिल ! नमन रोते हुऐ कहता है वैशाली उसकी अलमारी से मुझे कुछ खत मिले है जो अब मेरे पास है, उस खत पर लिखा है की ये सिर्फ वैशाली ही पढ़ेगी ।
मैने अभी तक उसे सम्भाल के रखा है । वैशाली रोती है वो कहती मैं अभी इंडिया आ रही हूँ। वो रात को हैजस को फोन करती और कहती है हैजस मै इंडिया जा रही हूँ अपनी जिन्दगी के कुछ सवाल पूछने । शायद मैं दोबारा तुम्हें ना दिखाई दु । पर तुम्हारे साथ बिताए वक्त मुझे बहुत याद आएंगे बाय । हैजस कहता है मिस यू वैशाली कभी मेरी याद आए तो आ जाना ।
वैशाली हवाई जहाज से कुछ पल में ही इंडिया आ जाती है और नमन को फोन करती है । नमन उसे एयरपोर्ट पर आकर खत उसे दे देता है और रोते हुऐ माफी मांगता, नमन कहता हैं मुझे पता है अखिल को वैशाली से ज्यादा पूरी दुनिया में कोई प्यार नहीं कर सकता । वो रोते हुऐ अपने घर चला जाता है । वैशाली अपने घर आकर सुबह ही अखिल का खत पढ़ने लगती है । अखिल ने खत कुछ यू लिख था ‘ ‘
डियर जिंदगी तुझसे मुझे हमेशा शिकायत रहती थी मुझे ये नहीं मिला मुझे वो नहीं मिला , पर मै गलत था । वैशाली को तूने मुझे अपनी जिन्दगी बनाने का हौसला जो दिया बस इसके बाद तुझसे कोई शिकायत नहीं है । वैशाली मेरी जिन्दगी में आई सपनों की तरह , उसे देखता रहा सपनों की तरह और जैसे ही सपना टूटा वैशाली भी नहीं रही । उसके बाद डियर जिन्दगी मैने सपनें देखने बंद कर दिए । पर वैशाली के दोबारा मिलने के बाद सुकून और फिर सपनों की नींद बहुत अच्छी रही । पर डियर जिन्दगी मुझसे उसे फिर छीन लिया । डियर जिन्दगी मेरी जान ले ले बस वैशाली को मेरी जिन्दगी का चैप्टर बना दे पर वो भी नहीं ।डियर जिन्दगी कल मैं रहूं हूँ या ना रहूँ पर मेरी जिन्दगी वैशाली पर कोई भी शिकायत नहीं रहनी चाहिए । डियर जिन्दगी मिस हूँ, ‘ ‘ ‘
ये सब पढ़कर वैशाली और भी रोने लगती है।
अब उसे विश्वास हो गया की अखिल इस दुनिया में नहीं है पर उसकी मोहब्बत उसका प्यार अभी भी जिंदा है । वैशाली कुछ दिन इंडिया में रहकर वापस रूस चली जाती है अपनी पढ़ाई करने , वंहा पर हैजस मिलता है वो वैशाली से शादी करने का प्रस्ताव रखता पर वैशाली उसे अखिल की सारी बातें बता देती है और कहती है इस जिन्दगी में मुझे बहुत ग़म दिये है अब मै इस जिन्दगी में खुशिया नहीं चाहती । और तरह से वैशाली कभी शादी न करने का प्रण करती है । जिन्दगी चलती रहती है और देखते देखते वैशाली को दस साल से भी अधिक रूस में रहते हुऐ हो जाते है, वैशाली अब एक इंजीनियर है, वो अपने प्रोजेक्ट को बहुत शालीनता से करती है । वैशाली की अपनी छोटी सी कम्पनी हैं और कम्पनी का नाम अखिल प्रोडक्शन है । वैशाली अपने जीने का पर्याय अखिल का नाम और उसके आखिरी खत को बना लेती है । काफी समय बाद वैशाली इंडिया अपने घर जाती है, वो अखिल के घर जाती है और उसकी माँ से सब बता देती है और ये भी बताती है की अखिल के नाम से मैं यंहा भी कम्पनी खोलना चाहती है । अखिल की माँ ये सब सुनकर रोने लगती है और इजाजत भी देती है साथ में कहती है की बेटी तुझे अब शादी कर लेनी चाहिए । लेकिन वैशाली शादी न करने आऊंगा प्रण बताती है । वैशाली अखिल की यादें समेटना चाहती है वो अखिल के घर के अलमारी कमरे में जो भी अखिल से जुड़ी चीजें है अपने पास रखना चाहती है। अखिल डायरी वैशाली को मिलती है, वो डायरी पढ़ने लगती है उसमें अखिल लिखता है ‘ ‘ डियर जिन्दगी फिर कभी आऊंगा तुझसे बदला लेने , फिर कभी आऊंगा वैशाली से मिलने पर आऊंगा जरूर ।
जिन्दगी यंही तक वैशाली और अखिल से उलझना नहीं चाहती थी , जिन्दगी अब वैशाली को कुछ देना चाहती थी । शायद जिन्दगी भी थक सी गई हो वैशाली अखिल से खेलते हुऐ । जिन्दगी एक नया मोड़ लेकर आती है, वैशाली की नई कम्पनी में एक लड़का आता है जॉब के लिऐ और उसे कम्पनी में जॉब मिल जाती है । अब वो कम्पनी का सुपर वाईजर है । और एक दिन कंपनी के मीटिंग में जन्हा पर वैशाली भी उपस्थित है जब अपनी बात रखते है और बारी उस लड़के की भी आती है वो बोलता है मेरा नाम अखिल है और मै प्लांट थ्री का सुपर वाईजरहूँ । इतना सुनते ही वैशाली उसकी तरफ देखती है । शायद अखिल नाम से उसे मोहब्बत है । पर ये लड़का अखिल नहीं है । अगली सुबह वैशाली का कमरा बंद है और लोग उसे जगाने की कोशिश करते है । अफसोस वैशाली कोई भी जवाब नहीं दे रही है । दरवाजे को तोड़ा जाता है और फिर वंहा पर उपस्थित सभी लोग एकदम से शांत हो जाते है, वैशाली की माँ रोने लगती है । उसकी बेटी की लाश उसके सामने बिस्तर पर पढ़ी है, वैशाली ने आत्म हत्या कर ली है, उसके हाथ की कलाई से खून टपक रहा है, और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट दिखाई दे रही है मानो आज वो अखिल से मिल रही हो । वैशाली के दूसरे हाथ में एक खत है, वो उस खत में लिखती है ‘ ‘ ‘ डियर जिन्दगी मैं अखिल को भुलाने की पूरी कोशिश की पर अखिल को नहीं भुला पाई, डियर जिन्दगी तुझे बस एक ही चीज मांगी थी अखिल की यादों मै दूर रहूं पर तू वो भी नहीं दे पाई । डियर जिन्दगी अखिल के जाने के बाद मैं कभी सुकून से सोई ही नहीं – नींद की दवा लेने के बाद भी कभी मुझे नींद नहीं आई । अब मै थक चुकी हूँ अब और नहीं जी सकती अखिल की यादों के सहारे
। मैं जा रही हूँ सब छोड़कर अखिल के पास ।
इतनी खूबसूरत जिन्दगी देने के लिऐ डियर जिन्दगी लव यूं । पर कभी और किसी को ऐसी जिन्दगी नहीं देना ।
वैशाली खुद को मौत के गले लगा लेती है और अपने पीछे कई सवाल छोड़ जाती है । आखिर वैशाली को अखिल से इतनी मोहब्बत क्यों ? क्यों वो इतने साल अखिल की यादों में जिंदा रही ? क्यों अचानक से एक दिन खुद को मार देती है ? क्यों वो जिन्दगी को डियर जिन्दगी कहती है । अगर इन सब सवालों के जवाब मिल जाएंगे तो वैशाली और अखिल का प्यार भी मिल जाएगा । और लाखों ऐसे अखिल और वैशाली बच जाएंगे । मै चला इन सब सवालों का जवाब खोजने और डियर जिन्दगी से मिलने । लव यूं डियर जिन्दगी ।
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