“ आहाँ नीक, जग नीक”
“ आहाँ नीक, जग नीक”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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जखन आहाँ
नहिं सुनबय
तखन आहाँकेँ
के सुनताह ?
जखन आहाँ नहिं
पढ़ब ककरो
तखन आहाँ केँ
के पढ़ताह ?
आहाँ अपन
धुन पर नाचू
वो अपन लय
मे गौअताह
आहाँ आ नहिं
हुनकर तालें
युगलबंदी कियो
नहिं क पौअताह !!
आहाँ पूरब
दिसँ जँ जायब
वो पश्चिम दिसँ
चलि जेताह
जखन आहाँ
नहिं पढ़ब ककरो
तखन आहाँ केँ
के पढ़ताह ?
नेता जखन
लोक केँ छलैत अछि
तखन हमहूँ
हुनको खूब छलैत छी
पाँच वरख केँ
बादे हुनका हम
घरक रास्ता
नापय लेल कहैत छी !!
जखन जनताक
वो नहिं सुनताह
आहाँ केँ वो फेर
किया बुझताह ?
जखन आहाँ
नहिं पढ़ब ककरो
तखन आहाँ केँ
के पढ़ताह ?
मात पिता केँ
जँ आहाँ भूलब
पुत्र आहूँ केँ
बिसरि जेताह
यदि वृद्धाश्रम
पठायब हुनका
आहूँ केँ सड़क
पर छोडि जेताह !!
जे जेहन करताह
एहि दुनियाँ मे
तेहने भगवान
हुनका सब देताह
जखन आहाँ नहिं
पढ़ब ककरो
तखन आहाँ केँ
के पढ़ताह ?
जग केँ जीतक
अछि त प्रियबर
जीवनक अंदाज़
त बदलि लिय
सबसँ मिलकेँ
रहबाक अछि त
हुनका अपना
हृदय मे राखि लिय !!
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
01.08.2023