Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Nov 2024 · 3 min read

“डिजिटल मित्रता” (संस्मरण)

डॉ लक्ष्मण झा परिमल
================
“मुझे दुख है बस अपनों से जो दिल के पास रहते हैं
गुजर जाए कई सदियाँ कभी नहीं बात करते हैं !!” @परिमल
देवनाथ बाबू दुमका में ही अपना प्राइवेट स्कूल चलाते थे ! यह स्कूल पांचमी क्लास तक थी ! उनकी पत्नी इस स्कूल की प्राचार्या थीं ! बंगाली होते हुये भी देवनाथ बाबू की हिन्दी बहुत अच्छी थी ! यही एक कारण था कि उनके लेख समाचार पत्रों में छपते रहते थे ! वैसे देवनाथ बाबू मास मीडिया में स्नातक तो नहीं थे फिर भी इनकी गिनती पत्रकारों में होती थी ! अपनी हरेक बातों को बेबाक समाचारपत्रों में रखते थे ! इनकी दो छोटी -छोटी बेटियाँ थीं ! देवनाथ बाबू पैतालीस के उम्र में ही दुमका के जाने माने पत्रकार बन गए !
2002 में 30 वर्षों के सेवा उपरांत मेरी सेवानिवृति हुई ! आर्मी मेडिकल कोर ने मुझे चिकित्सा तंत्र से जोड़े रखा ! दुमका में जन्मे ,शिक्षा ग्रहण की और सेवानिवृति के उपरांत दुमका को ही अपना कर्म भूमि समझा ! चिकित्सा पेशा के अतिरिक्त मैंने भी कुछ -कुछ लिखना प्रारम्भ कर दिया ! और धीरे धीरे लिखना मेरी हॉबी बनती चली गई ! सेवानिवृति के बाद 2014 से मैंने भी कम्प्युटर सीखना प्रारम्भ कर दिया ! फेसबूक के पन्ने भी मेरे खुल गए ! हालांकि यह एक मेरी उपलब्धि ही मानी जाएगी ! जिसे मैंने सदा ही तिरस्कार किया उस यंत्र को बाद में मैंने अपना लिया !
देवनाथ बाबू मेरे फेसबूक मित्र बन गए ! एक शहर और सटे हुये मुहल्लों में रहने के बावजूद भी कभी उनका दीदार ना हुआ ! बस उनकी तस्वीर को मैं फेसबूक के पन्नों पर देख लेता था ! दुमका एक छोटा सा शहर है ! लोगों को जानना और पहचानना कोई मुश्किल काम नहीं है ! उनके लेख और विचारों का अवलोकन तो कर लिया करता था ! उनकी लेखनी का कायल में हो चुका था ! देवनाथ बाबू भी मेरे लेखनी और कविताओं को पढ़ते थे और आनंद लेते थे ! परस्पर विचारों का मिलना ही तो फेसबूक मित्रता को मजबूत बनाता है !
मुझे इच्छा होने लगी देवनाथ बाबू से एक बार मिलें ! साक्षात दर्शन आनंदमयी होता है ! वर्षों बीत गए आज तक देवनाथ बाबू से मुलाक़ात हो ना सकी ! डिजिटल मित्र तो अधिकांशतः दूर के ही होते हैं ! उनलोगों के दर्शन तो फेसबूक पन्नों पर ही संभव है पर देवनाथ बाबू और मैं तो इसी शहर के सटे हुये मुहल्ले में रहता हूँ ! मुलाक़ात की प्रवल इच्छा बलवती होती गई ! बाज़ार में मेरे बहुत सारे बचपन के दोस्त इधर -उधर बिखर गए पर इस शहर के लोग मुझे अधिकतर पहचानते हैं ! बात चली तो मैंने अपने दोस्तों को पूछा ,
–” भाई ! देवनाथ बाबू को तुमलोग जानते हो जो रसिकपुर में अपना प्राइवेट स्कूल चलाते हैं ?”
“ अच्छा ! जो कभी- कभी समाचारपत्रों में लिखते भी हैं ? ….वे दुमका मैन पोस्ट ऑफिस के बगल में अर्जुन की चाय दुकान पर रोज सुबह आते हैं !”—रंजीत ने मुझे आश्वस्त किया !
वैसे प्रत्येक दिन सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए दुमका समाहरणालय मैं जाता हूँ ! पोस्ट ऑफिस होकर ही मुझे गुजरना पड़ता है ! अर्जुन की चाय दुकान पर एक छोटी प्याला (कुल्हड़)में मैं भी चाय पीता हूँ ! आज मैंने निश्चय कर लिया कि देवनाथ बाबू से जरूर मिलूँगा ! अर्जुन से चाय की प्याला पकड़ते हुये धीमे स्वर में पूछा ,–
“अर्जुन ! देवनाथ बाबू इनमें से कौन हैं ?”
“वो देखिये ! न्यूज़ पेपर पढ़ रहे हैं !”-अर्जुन ने कहा !
अरे ये हैं देवनाथ बाबू ? इनको तो मैं प्रत्येक दिन देखता हूँ ! फेसबूक में चेहरा कुछ और है और वास्तव में कुछ और ! पर गौर से देखने के बाद मैं आश्वस्त हो गया ! वे सिगरेट पी रहे थे ! स्प्लेंडर बाइक पर एक टांग लटकाए न्यूज़ पेपर पढ़े जा रहे थे ! मैं उनके पास पहुँचकर पूछा ,—“देवनाथ बाबू ! क्या आपने मुझे पहचाना ?”
“ओह ! डॉक्टर साहिब … क्यों नहीं ?”
देवनाथ बाबू इतनी बातें कहने के बाद फिर अपने न्यूज़ पेपर और सिगरेट में मशगूल हो गए !
मुझे आश्चर्य और क्षोभ हुआ कि ‘ऐसे लोग’ भी लोगों के फेसबूक से जुडते हैं !
देवनाथ बाबू के उम्र के बराबर मेरे भी दो जुड़वाँ बेटे हैं ! अभिवादन की बातें तो भूल जाएँ पर देवनाथ बाबू ने तो शिष्टाचार की भंगिमा को ही भुला दिया !………………
=============================
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
18.11.2024

Language: Hindi
9 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तिरस्कार,घृणा,उपहास और राजनीति से प्रेरित कविता लिखने से अपन
तिरस्कार,घृणा,उपहास और राजनीति से प्रेरित कविता लिखने से अपन
DrLakshman Jha Parimal
हमारे प्यारे दादा दादी
हमारे प्यारे दादा दादी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
" सूत्र "
Dr. Kishan tandon kranti
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
Sonam Puneet Dubey
कुदरत और भाग्य के रंग..... एक सच
कुदरत और भाग्य के रंग..... एक सच
Neeraj Agarwal
नहीं तेरे साथ में कोई तो क्या हुआ
नहीं तेरे साथ में कोई तो क्या हुआ
gurudeenverma198
सच्चाई का रास्ता
सच्चाई का रास्ता
Sunil Maheshwari
*Flying Charms*
*Flying Charms*
Poonam Matia
ख़ामोश सा शहर
ख़ामोश सा शहर
हिमांशु Kulshrestha
आँचल की छाँह🙏
आँचल की छाँह🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
उलफ़त को लगे आग, गिरे इश्क पे बिजली
उलफ़त को लगे आग, गिरे इश्क पे बिजली
पूर्वार्थ
भारतीय ग्रंथों में लिखा है- “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुर
भारतीय ग्रंथों में लिखा है- “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुर
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
सच का सिपाही
सच का सिपाही
Sanjay ' शून्य'
..........अकेला ही.......
..........अकेला ही.......
Naushaba Suriya
मुझे छू पाना आसान काम नहीं।
मुझे छू पाना आसान काम नहीं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
manjula chauhan
ममता का सागर
ममता का सागर
भरत कुमार सोलंकी
ह्रदय की स्थिति की
ह्रदय की स्थिति की
Dr fauzia Naseem shad
क्षणिका :
क्षणिका :
sushil sarna
4126.💐 *पूर्णिका* 💐
4126.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
घर पर घर
घर पर घर
Surinder blackpen
मुग़ल काल में सनातन संस्कृति,मिटाने का प्रयास हुआ
मुग़ल काल में सनातन संस्कृति,मिटाने का प्रयास हुआ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कैसे कहें के तुझसे प्यार ही प्यार है,
कैसे कहें के तुझसे प्यार ही प्यार है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कांतिपति की कुंडलियां
कांतिपति की कुंडलियां
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
*हूँ कौन मैं*
*हूँ कौन मैं*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
(वक्त)
(वक्त)
Sangeeta Beniwal
“Don't give up because of one bad chapter in your life.
“Don't give up because of one bad chapter in your life.
Neeraj kumar Soni
वो केवल श्रृष्टि की कर्ता नहीं है।
वो केवल श्रृष्टि की कर्ता नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
जीवन और रंग
जीवन और रंग
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...