डाली से गिरकर टूटे
डाली से गिरकर टूटे
डाली से टूटकर गिरे
पत्ते से मैंने पूछा
“क्या डाली ने
और साथ देने इनकार कर दिया”
पत्ता मासूमियत भरे अंदाज़ में बोला
जब आदमी का
बुरा वक़्त आता है
अपने भी साथ छोड़ देते हैं
एक हाथ दूसरे हाथ को
पहचानने से इनकार कर देता है
बेटा – बाप को पहचानने से
इनकार कर देता है
रिश्ते – रिश्ते नहीं रहते
संस्कार फीके लगने लगते हैं
अतिमहत्वाकांक्षा रिश्तों पर
भारी पड़ने लगती है
फिर मैं तो एक पत्ता हूँ
मेरी औकात ही क्या है
जो मैं डाली को कोसूं
क्यों कोसूं ?
क्यों कोसूं ?
क्यों कोसूं ?