डायरी v/s जीवन
************डायरी V/S जीवन**********
आप जीवन के दिनचर्या का डायरी के साथ एक प्रयोग कर सकते हैं।
आप एक डायरी लिजिए और अपने दैनिक कार्यों/कर्मों को तिथिवार अपने सबसे बेहतरिन लिखावट में स्वच्छ एवं स्पष्ट सोच के साथ इमानदारी से लिखिए ।चाहे वो कार्य अच्छे हो या बुरे सभी को लिख डालिए और रोज लिखते ही जाइए,,कहने का मतलब ये हैं कि आप प्रत्येक दिन के कर्मों का लेखा-जोखा प्रत्येक दिन किजिए। याद रहे कि ये लिखावट ROM(Read only memory) है ,आप इसमें लिखने बाद लिखावट में परिवर्तन नही कर सकते हैं और लिखने के दौरान काट-पिट कर सही कर सकते हैं परन्तु पिछे के लिखे हुए पन्ने को पढ़ना नही हैं ,
जब आप एक -दो महिने (30-60पन्ने) लिख लेंगे तब आप एक दिन समय निकालिए और शांत मन से एक-एक पन्ने पढ़ते जाइए ।अब आपको अपने लिखावट में उस समय काट-पिट कर सही करने के बावजूद उसी पन्ने मे से कुछ या प्रत्येक पन्ने में आज के कसौटी ,परिवेश एवं बुद्धिमत्ता के आधार पर कहीं -कहीं Mistake अवश्य मिलेंगे और अगर नही मिला तो आप महान लेखक हैं यद्यपि सामान्यतः जैसे ही Mistake पर नजर पड़ेगा आपका हाथ कलम पर जाएगा और लिखावट को सुधारने का मन करेगा और हो सकता हैं कि आपको याद ना हो कि ये ROM हैं, आप शब्दों या वाक्यों को काटकर सुधार भी देंगे लेकिन क्या ऐसे सुधार संभव हैं? नही हैं क्योकि वो पन्ना तो ROM हैं।परन्तु अगर ये याद रहा कि ये ROM हैं तो मन में ये अवश्य लगेगा कि ओह! इस लिखावट को ऐसे लिखना चाहिए था, इसको वैसे लिखना चाहिए था ,ये नही लिखना था कुछ दुसरे तरिके से लिखना चाहिए था इत्यादि।
परन्तु अब हम मूल बातों पर आते हैं अगर डायरी को जीवन मान लिया जाय,प्रत्येक पन्ने को जीवन का प्रत्येक दिन मान लिया जाय और प्रत्येक लिखावट को दैनिक कर्म मान लिया जाय तो क्या हम आज बैठकर जो पिछले लिखे हुए पन्ने के लिखावट में सुधार कर रहे है या सुधार करना चाहते हैं in the same way क्या हम अपने जीवन में जो पहले कर चुके हैं उसे उसी तारिख मे सुधार सकते हैं ? इसका जवाब है कभी भी सुधार नही सकते हैं।
इसमें एक बात ये भी आता हैं कि हो सकता हैं कि मैने लिखने के दौरान कोई गलती ही नही किया हो इसलिए मुझे काट-पिट कर सुधारने की जरूरत ही नही पड़ेगा तो ऐसे शुद्ध ,स्वच्छ ,निष्पक्ष लेखन यानी कर्म सिर्फ महान, ग्यानी लोग ही कर सकते हैं जिसे ये लगता हैं कि उसने जो कर्म किया है वो न्यायपूर्ण एवं धर्मपूर्वक हैं और अगर आपने भी ऐसा किया है तो आप खुद को महान समझ सकते हैं। और प्रत्येक लोगों को ऐसे ही लेखन करना चाहिए कि अगर मैं पिछले लिखावट का अवलोकन आज कर रहा हूं तो मुझे ये ना लगे कि इसमें सुधार की जरूरत हैं । और रही बात पिछले लिखावट को सुधारने कि तो आप पिछले पेज के Reference लेकर आज के तारिख में सुधार कर नए पेज में लिखिए यानी पिछले किए हुए गलतियों को आज सुधार लिजिए ताकि भविष्य में फिर आज के लिखावट को काट-पिट कर सही ना करना पड़े।
कहने का सार यही हैं कि आप जीवन में प्रत्येक दिन ऐसा लिखावट लिखिए यानी ऐसा कर्म किजिए जिससे कि आप अगर भविष्य में कभी भी अपने जीवन के पन्ने पलटें तो अपने लिखावट से कम से कम असंतुष्ट ना हों,दुखी ना हों और पछतावा ना हो और ये एहसास हो कि मैने जो लिखा हैं वो लिखावट स्वच्छ एवं स्पष्ट है ,खुद को गौरवान्वित करने वाला हैं लेकिन हो सके तो ऐसी कृति भी लिखिए जो दुनिया के लिए प्रेरणादायक एवं पथप्रदर्शक हो ।
(ROM-जिसे सिर्फ पढ़ा जा सके और उसमे लिखित तथ्यों को परिवर्तित ना किया जा सके)
@THECHAAND