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23 Aug 2024 · 1 min read

डायरी में शायरी…1

कुछ पाने की कोशिश में मैं, बहुत अधिक खोता गया।
ऊपर से हँसता गया ख़ूब, अंदर से रोता गया।।//1

किसको दर्द सुनाऊँ अपना, किसको समझूँ मैं यार।
जिसको अपना कहा कभी भी, उसने खोला छल द्वार।।//2

बीज प्रेम के हृदय पिरोये, ज़ुबाँ करे है सत्कार।
स्नेह लुटाते साँस सुधाकर, कहूँ उसे मैं संस्कार।।//3

द्वेष कपट बद चोर निग़ाहें, भला किसी का कब करें।
विष उगलते सर्प से ‘प्रीतम’, मस्त मग्न दादुर डरें।।//4

औक़ात मनुज की रेत सरिस, आँधी से हो गुमनाम।
उसकी ताक़त छुईमुई-सी, जो भ्रम का हुआ गुलाम।।//5

आर. एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
1 Like · 52 Views
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